हजारों पक्षियों के निवास को किया नेस्तनाबूद, ऑक्सीजन सप्लाई करने वाला नीम का पेड़ भी बना निशाना
उज्जैन, अग्निपथ। विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में चल रहे विस्तारीकरण कार्य का खामियाजा भी प्रकृति को भुगतना पड़ रहा है। यहां पर मौजूद पुराने हरे-भरे पेड़ों को काटकर उनकी बलि ले ली गई। मंदिर परिसर में स्थित करीब 5 हरे पेड़ आरी से काट दिए गए।
जिसमें एक नीम के बड़े वृक्ष पर हजारों पक्षियों का निवास हुआ करता था। ऐसे में अब सवाल यह उठ रहा है कि विकास के नाम पर हरे-भरे वृक्षों का विनाश क्यों किया जा रहा है।
वृक्षों को काट दिया गया वह निर्गम द्वार के पास देवास वाले की धर्मशाला के करीब लगे हुए थे। मंदिर परिसर में वर्षों से मौजूद इन हरे वृक्षों में नीम सहित अन्य प्रजाति के पेड़ों पर मंदिर परिसर में ही विचरण करने वाले सैकड़ों परिंदों का निवास था। बड़े पेड़ काटने से पक्षियों की चहचहाहट गायब होने लगी है।
घटना को लेकर कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। मंदिर के अधिकारी इस बात से अनभिज्ञता प्रकट कर रहे हैं कि उनको इस बात की कोई जानकारी है। ज्ञातव्य रहे कि नीम सहित अन्य प्रजाति के पेड़ों से अधिक मात्रा में ऑक्सीजन प्राप्त होती है। कोरोना वायरस संक्रमितों को ऑक्सीजन की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ी। इसके बावजूद भी वृक्षों की कटाई की गई।
डॉक्टर दंपति पर हो चुकी एफआईआर
पिछले दिनों इंदौर रोड स्थित एक नर्सिंग होम के संचालक दंपत्ति पर अपने अस्पताल का पेड़ कटवाने को लेकर माधव नगर थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी। लेकिन जिला प्रशासन द्वारा की गई इस कार्रवाई पर क्या एक्शन लिया जाता है यह देखने वाली बात होगी। पहले भी सती माता मंदिर के पास के आधा दर्जन पेड़ों को इसी तरह से काट दिया गया था।