उज्जैन, अग्निपथ। माघ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि इस बार बुधवार के दिन अश्लेषा नक्षत्र में शोभन योग के साथ आ रही है। 16 फरवरी को आने वाली पूर्णिमा, व्रत की पूर्णिमा भी कहलाएगी। साथ ही इसी दिन माघ स्नान की पूर्णता भी रहेगी। ऐसी मान्यता है कि यदि माघ मास पर्यंत किसी ने धार्मिक दृष्टिकोण से तीर्थ के स्नान का लाभ नहीं लिया है। वह इस दिन अर्थात माघी पूर्णिमा पर स्नान करके तीर्थ के पुण्य फल का भागी बन सकता है।
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डिब्बावाला ने बताया कि भारतीय ज्योतिष शास्त्र में योग नक्षत्र करण वार तिथि आदि से संबंधित पंचांग के 5 अंगों का अपना-अपना उल्लेख बताया गया है। यदि कोई पर्व काल विशेष संयोग या नक्षत्र में साक्षी अनुक्रम से बनता है तो उसका महत्व बढ़ जाता है।
इस बार माघी पूर्णिमा बुधवार के दिन शोभन योग में होने से महत्वपूर्ण हो गई है। ऐसी मान्यता है कि यह पूर्णिमा व्रत की पूर्णिमा के साथ-साथ स्नान दान की तो पूर्णिमा है ही, साथ ही भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए इस दिन विशेष अनुष्ठान करके धन प्राप्ति का विशेष अनुष्ठान किया जा सकता है।
शोभन योग के अधिपति हैं बृहस्पति
पंडित पंकज दुबे के अनुसार 27 योगों में आने वाले शोभन योग विशिष्ट योगों की श्रेणी में आता है। शोभन योग के स्वामी बृहस्पति हैं। बृहस्पति के स्वामित्व वाली यह पूर्णिमा तिथि भगवान विष्णु से संबद्ध है। इस दृष्टि से बृहस्पति और विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए विवाह के लिए कन्या इस दिन व्रत रखकर बृहस्पति का विशेष अनुष्ठान करके मांगलिक कार्य के लिए आगे बढ़ सकती है।