समझौता बैठक के बाद दो बजे खरीदी हुई शुरू
उज्जैन, अग्निपथ। कृषि उपज मंडी में व्यापारी, हम्माल, तुलावटियों के बीच पारिश्रमिक दर के लेकर चल रहे विवाद की वजह से गुरुवार दोपहर तक आफ लाइन खरीदी नहीं हो पाई थी। हड़ताल लंबी न खिंचे इसे लेकर दोनों ही पक्ष समझौते के सुबह से कवायद कर रहे थे। 12 बजे मंडी कार्यालय में समझौता बैठक हुई और दोपहर बाद फसल खरीदी का फैसला किया गया। आज भारसाधक अधिकारी अवि प्रसाद साथ व्यापारी, हम्माल, तुलावटियों के बीच समझौता बैठक होगी। इसमें सभी तरह की दर पर फैसला लिया जाएगा।
गुरुवार सुबह से किसान खरीदी के लिए पहुंचने लगे थे। परन्तु हड़ताल के चलते 12 बजे तक खरीदी नहीं हो पाई थी। कुछ व्यापारी किसानों से फसल खरीदी के लिए मौल भाव कर रहे थे। किसान समर्थन मूल्य से कम पर फसल बेचने को तैयार नहीं हुए। इसी के बाद 21 सौ रुपए में फसल खरीदी का सौदा हुआ। मंडी के अधिकांश फड़ खाली पड़े हुए थे। व्यापारी इधर -उधर घूम रहे थे। मंडी में हम्माल सचिव दिनेश बसेडिया शर्मा के पास पहुंचे और उनसे दर बढ़ाने के लिए समझौता कराने का आग्रह किया।
इस दौरान अनाज तिलहन संघ के सचिव अनिल गर्ग रामजी, कोषाध्यक्ष उमेश जैन, हजारीलाल मालवीय, राजेंद्र राठौर, हम्माल,तुलावटी संघ के गफ्फार लाला,कैलाश मीणा, विजय बैरागी, रियाजु बिहारी आदि भी मंडी सचिव के कार्यालय में पहुंच गए थे। इस दौरान दोनों पक्षों के बीच समझौता वार्ता की मध्यस्थता करते हुए सचिव बसेडिया ने कहा कि चार साल की दर का रिकॉर्ड मंडी में जो मौजूद था, उसे उन्होंने निकाल लिया है। हम्मालों ने उसकी एक कॉपी मांगी तो उन्हें भी दे दी। साथ ही उन्होंने कहा कि आगामी तीन साल के लिए हम्माली और तुलावटियों की दर पर फैसला किया जाएगा। इसलिए दोनों पक्ष आपस में तय कर लें कि जो भी दर तय होगी,वह तीन साल तक एक ही रहेगी। इसके साथ ही हम्माल और तुलावटी अपनी हड़ताल को वापस लें।
मंडी सचिव और भारसाधक अधिकारी से चर्चा करने के बाद हम्माल हड़ताल वापस लेने को तैयार हो गए थे। उनका कहना था कि भारसाधक अधिकारी और सचिव के आश्वासन पर वे हड़ताल को स्थगित कर रहे हैं। अगर फैसला उनके हितों को ध्यान में रखकर नहीं किया गया तो फिर आगे का फैसला शुक्रवार की बैठक के बाद लिया जाएगा।
मंडी में 20 से ज्यादा व्यापारियों ने ई नाम लाइसेंस ले रखे : मंडी समिति में पहली बार हड़ताल के बीच में ई नाम या आनलाइन पोर्टल के माध्यम से व्यापारियों ने फसल की खरीद की है। इसमें 100 रुपए में लाइसेंस बन जाता है और व्यापारी ऑनलाइन और मोबाइल से भी किसानों से फसल खरीद सकता है और उनकी रसीद भी कटवा सकता है।