जमीन को बेचकर उज्जैन में नई जमीन खरीदी जाएगी
उज्जैन, अग्निपथ। विश्व प्रसिद्ध भगवान महाकाल के देश सहित विदेशों में सैकड़ों भक्त हैं जो कि उनके लिए अपना सर्वस्व दान करने की इच्छा रखते हैं। वर्ष भर में करोड़ों रुपए का दान प्राप्त होता है। वहीं कई दानदाता सोना चांदी सहित जमीन भी दान कर जाते हैं। ऐसी ही दान में आई जमीनों को अब मंदिर समिति ने बेचने का फैसला लिया है। जल्दी ही महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति की बैठक में इस मुद्दे को रखा जाएगा।
देशभर के भक्तों ने भगवान महाकाल को 84.132 बीघा जमीन दान स्वरूप भेंट की है। यह जमीन स्टेट के जमाने से भक्तों ने महाकाल को दान में दी थी। जो कि प्रदेश के उज्जैन, इंदौर, देवास, रतलाम और मंदसौर जिले में स्थित है। इनमें से कई जमीनों पर अवैध अतिक्रमण हो चुका है। वहीं कुछ जमीनों पर विवाद के बाद कोर्ट में केस चल रहा है। शीघ्र ही इन जमीनों को बेचकर दूसरी जमीन खरीदी जाएगी। जिनका उपयोग मंदिर में होने वाले कार्यों के लिए हो सकेगा।
यहां पर हैं जमीनें
मंदिर समिति के पास उज्जैन शहर सहित देवास, रतलाम, मंदसौर और इंदौर के जिलों में जमीन हैं जो कि इस प्रकार हैं
- उज्जैन में 0.627 हेक्टेयर
- बामोरा 1.05 हेक्टेयर
- नई खेड़ी 3.030 हेक्टेयर
- लेकोड़ा आंजना 4.860 हेक्टेयर
- पिपलोदा सांगोती 2.700 हेक्टेयर
- जलोदिया जागीर 1.230 हेक्टेयर
- निमनवासा 9.040 हेक्टेयर
- मंगरोला 5.220 हेक्टेयर
- चिंतामन जवासिया 7.40 हेक्टेयर
- सौंसर 0.890 हेक्टेयर
- कराडिया 5.290 हेक्टेयर
- रतलाम के पिपलोदा में 9.768 हेक्टेयर
- इंदौर के सांवेर 3.792 हेक्टेयर।
कई जमीनों पर विवाद
महाकाल मंदिर को मिली जमीन पर कुछ लोगों ने अतिक्रमण किया हुआ है। उज्जैन के चिंतामन और मंगरोला में दान के रुप में आई जमीन के कुछ हिस्सों पर विवाद होने के बाद न्यायालय में केस चल रहा है। अन्य जिलों में भी यही हालात हैं। लेकिन अच्छी बात यह है कि जमीनों पर कब्जा मंदिर समिति का ही है।
कलेक्टर आशीष सिंह का कहना है कि जिलों की जमीनों का कई दिनों से मंदिर समिति को राजस्व भी नहीं मिल रहा है। उज्जैन को छोडक़र देवास, रतलाम, इंदौर सहित मंदसौर की जमीनों को मंदिर समिति बेचने का प्लान तैयार कर रही है। इन जमीनों को बेचकर उज्जैन में ही जमीन खरीदी जाएगी। जहां मंदिर के अन्य कामों के उपयोग में आ सकेगी।