उज्जैन, अग्निपथ। पिछले 2 साल से कोरोना संक्रमण की वजह से फीके रहे विक्रम उत्सव को इस बार भव्य पैमाने पर मनाने की योजना पर काम शुरू कर दिया गया है। 25 मार्च से 2 अप्रैल के बीच 9 दिन तक विक्रमोत्सव के विभिन्न आयोजन होंगे। गुड़ी पड़वा से ठीक पहले की रात रामघाट पर ख्यात पार्श्वगायक कैलाश खेर या ऋचा शर्मा की सांगीतिक प्रस्तुति होगी। इसी रात आयोजित होने वाले अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में हरिओम पंवार, कुमार विश्वास, मनोज मुंतशिर जैसे दिग्गज कवियों को आमंत्रित किया जाएगा।
शुक्रवार को विक्रमोत्सव की तैयारियों को लेकर उच्चशिक्षा मंत्री डा. मोहन यादव ने बृहस्पति भवन में बैठक ली। विक्रमादित्य शोध पीठ के संचालक डा. श्रीराम तिवारी ने बताया कि 25 मार्च से 2 अप्रैल के बीच नाट्य प्रस्तुतियों के लिये विक्रम के नो वेश गुजराती भवाई लोकनाट्य परम्परा, महाराजा विक्रमादित्य मणिपुरी लोकनाट्य परम्परा, पद्मांक गाथा संस्कृत नाट्य परम्परा, नैपथ्य राग, चाणक्य, विक्रमार्क कथा, कर्नाटक की यक्षगान शैली, महानाट्य विक्रमादित्य, सिंहासन बत्तीसी, वीरवर विक्रम दास्तानगोई, शिवोहम नृत्य नाटिका का चयन किया गया है।
इसी तरह कवि सम्मेलन में प्रसिद्ध कवि हरिओम पंवार, कुमार विश्वास, मनोज मुंतशिर आदि नामचीन कवियों को आमंत्रित किया जायेगा। कलश यात्रा, सूर्योपासना, विक्रम संवत् पंचांग प्रकाशन भी किया जाएगा। सांगितिक प्रस्तुतियों में राग मालवा, ध्रुपद गायन उदयन भवालकर पुणे, लोकप्रिय सांगितिक प्रस्तुति में कलाकारों के रूप में ऋचा शर्मा अथवा कैलाश खैर को आमंत्रित किया जायेगा।
इसी तरह विक्रम वैदिक घड़ी का प्रवर्तन टॉवर पर करने, विक्रम पंचांग काउंटर की स्थापना महाकालेश्वर मन्दिर परिसर में करने, मूर्तिकला वर्कशॉप सम्राट विक्रमादित्य अलंकरण, पुस्तकों का विमोचन, वेद अंताक्षरी का आयोजन के साथ 2 अप्रैल गुड़ी पड़वा को प्रात: 5.30 बजे सूर्य को अर्ध्य देने, महाकाल ध्वज महाकाल मन्दिर में अर्पित करने की प्रस्तावना तय की गई है।
बैठक में कलेक्टर ने नगर निगम को रामघाट से नृसिंह घाट तक मन्दिरों की पुताई, साफ-सफाई एवं विद्युतीकरण करने, पेयजल की व्यवस्था करने, उज्जैन विकास प्राधिकरण को मंच निर्माण करने, स्वास्थ्य विभाग को समारोह स्थलों पर चिकित्सा सुविधाएं, विद्युत विभाग को जनरेटर एवं विद्युत संयोजन की व्यवस्था करने, पुलिस विभाग को सुरक्षा एवं यातायात तथा जिला प्रशासन को कानून व्यवस्था एवं शिप्रा नदी के घाट पर बैरिकेटिंग व नाव आदि की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए है।