हर्षोल्लास से निकला वरघोड़ा
महिदपुर, अग्निपथ। बाल दीक्षार्थी रिदम का वर्षीदान का वरघोड़ा आचार्य मुक्तिसागर सूरीश्वरजी एवं साध्वी मुक्तिदर्शनाजी आदि ठाणा की निश्रा में प्रमुख मार्गो से हर्षोल्लास के साथ निकला। वर्षीतप वरघोड़ा में आगे आगे कलाकार रांगोली बना रहे थे, उनके पीछे पीछे ध्वजा, बैलगाड़ी, घोड़े, ढोल, झांकी एवं जैन सोश्यल ग्रु प का महिला उद्घोष व सभी महिला मण्डल अपने अपने ड्रेस कोड में नाचते झूमते चल रही थी। इनके पीछे इन्द्र इन्द्राणी का रथ चल रहा था। पीछे दीक्षार्थी रिदम अपने परिवार के साथ बैठकर उल्लास भाव से वर्षीदान कर रही थी।
अपार जन समूह के साथ यह वरघोड़ा रविवार को शत्रुंजय आदिनाथ तीर्थधाम पहुंचकर धर्मसभा में परिवर्तित हुआ। जहां गुरुदेव की पावन निश्रा में आनंदचंद, अभ्यूदय दीक्षा मण्डप का उद्घाटन हुआ। जिसका लाभ सभी ट्रस्टिगणों ने लिया। पश्चात भरतचक्रवर्ती भोजनशाला का उद्घाटन गुरुदेव की निश्रा में हुआ जिसका लाभ जितेन्द्र सोनी की स्मृति में वरदीचंद चांदमल सोनी परिवार ने लिया। वर्षीदान वरघोड़ा के पूर्व आयोजित नवकारसी का लाभ लीलाबाई शांतिलालजी कोचर परिवार ने लिया।
धर्मसभा में प्रितेश सोनगरा, हर्ष सोनगरा ने स्वागत गीत गाया। दीक्षाबेन कोटा ने अपने विचार रखें। अंत में गुरुदेव ने मंगलकारी प्रवचन दिये। उक्त समस्त आयोजन में झारड़ा, खेड़ाखजूरिया, आलोट, चौमहला, डग, उज्जैन, सुसनेर, आगर श्रीसंघों के सदस्य उपस्थित थे। वर्षीदान का यह वरघोड़ा नगर में इतिहास बनकर दीक्षा महोत्सव का साक्षी बना।
वर्षीदान वरघोड़ा के पूर्व गत रात्रि को मैनेजमेन्ट ग्रुप द्वारा भव्य रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें आदिनाथ बहु मण्डल, दिगम्बर बहु मण्डल, जिनदत्त सूरी बहु मण्डल, सिद्धचक्र महिला मण्डल एवं अनेक महिला मण्डल एवं बालिका मण्डल ने सर्वोत्तम प्रस्तुती देकर श्रावक-श्राविकाओं को भाव विभोर कर दिया। सभी समाजजनों का अंकुर भटेवरा, ललित नासका वाला ने आभार व्यक्त किया। उक्त जानकारी संघ प्रवक्ता प्रदीप सुराना ने दी।
आज होगी दीक्षा
रिदम कोचर सांसारिक जीवन छोडक़र सोमवार को संयम पथ पर कदम रखेगी। वे शहर के किला स्थित शत्रुंंजय आदिनाथ मंदिर में आचार्य मुक्तिसागरजी से दीक्षा ग्रहण करेंगी। इसके बाद रिदम साध्वी निरागदर्शनाश्रीजी की शिष्या हो जाएंगी। दीक्षा के बाद साध्वी के तौर पर इनके नए नाम की घोषणा की जाएगी।
46 साल पहले हुई थी दीक्षा
शहर में 46 साल बाद यह मौका आया है जब किसी मुमुक्ष ने साध्वी दीक्षा ग्रहण की है। इसके पहले 6 दिसंबर 1975 को जुहारमलजी व श्रीकांताबेन आंचलिया की पुत्री मुधबाला ने साध्वी दीक्षा ग्रहण की थी। उनका साध्वी के तौर पर नाम मुक्तिदर्शनाश्रीजी मिला था। मुक्तिदर्शनाश्रीजी सोमवार को रिदम के दीक्षा महोत्सव में निश्रा प्रदान करेंगी।