महिदपुर, (विजय चौधरी) अग्निपथ। नगर के किला स्थित शत्रुंजय आदिनाथ जैन मंदिर में सोमवार के दिन शहर की एक बेटी की विदाई का पल अविस्मरणीय हो गया। 14 साल की रिदम कोचर ने सांसारिक जीवन को अलविदा कहकर संयम पथ कदम बढ़ाया और भगवती दीक्षा ग्रहण कर जिस पल वे साध्वी बनकर लोगों के सामने आई तो कई आंखें खुशी से भीग गईं।
भगवती दीक्षा पाकर बनी साध्वी दीपदर्शनाश्रीजी व जिन शासन के जयकारे लोगों ने लगाए और नई साध्वी के संयम पथ पर चलने की अनुमोदना की।
सर्वप्रथम गुरुदेव आचार्य मुक्तिसागरजी ने मुमुक्षु रिदम की दीक्षा की सभी क्रियाएं अचल मुक्तिसागरजी, साध्वी मुक्तिदर्शनाश्रीजी, मुक्तिप्रियाजी आदि ठाणा की निश्रा में सम्पन्न करवायी। नगर के साथ ही बाहर से पधारे हजारो लोग इस दीक्षा समारोह के साक्षी बने।
इसके बाद जैन श्वेताम्बर तपागच्छ श्रीसंघ के वरिष्ठ बाबूलाल आंचलिया, शरद भटेवरा, रमेश कोचर, मांगीलाल मेहता, महेश सुमन, हंसमुख नवलखा ने बाल मुमुक्षिका रिदम का अभिनंदन पत्र भेंट कर बहुमान किया। दीक्षा क्रिया में निमित्त उपकरण भेंट करने का चढ़ावा भी श्रावकों ने उत्साह के साथ लिया। मुम्बई से आये संगीतकार नरेन्द्र वाणीगोता की उपस्थिति ने दीक्षा समारोह में भक्ति रस का प्रवाह किया।
दीक्षा समारोह में अतिथि पूर्व मंत्री एवं उज्जैन विधायक पारस जैन व विधायक बहादुरसिंह चौहान थे। गुरुदेव ने दीक्षा कार्यक्रम के बाद रिदम का सांसारिक नाम बदल कर नया नाम दीपदर्शनाश्रीजी दिया। नाम के जयघोष के साथ ही दीक्षा मण्डप में उत्साह छा गया। कार्यक्रम का संचालन प्रदीप सुराना व अंकुर भटेवरा ने किया। आभार ललित नासकावाला ने माना।
कोचर परिवार से नौंवी दीक्षा
समाज के जैनेंद्र खेमसरा के मुताबिक महिदपुर के कोचर परिवार से यह नौंवी दीक्षा है। कोचर परिवार से पूर्व में ही आठ दीक्षाएं हो चुकी है। अब संतोष कुमार-संतोष बेन कोचर के पुत्र विशाल-सोनाली कोचर के घर जन्मीं रिदम भी साध्वी दीपदर्शनाश्री जी के रूप में मुक्ति के मार्ग पर चल पड़ी हैं।
निरागदर्शनाश्रीजी की शिष्या होंगी
दीक्षा के बाद दीपदर्शनाश्रीजी साध्वी जीवन में साध्वी निरागदर्शनाश्रीजी की शिष्या बन गई हैं। गौरतलब है कि निरागदर्शनाश्रीजी साध्वी मुक्तिदर्शनाश्रीजी की शिष्या हैं। साध्वी मुक्तिदर्शनाश्रीजी भी संयम जीवन पर जाने से पहले महिदपुर की निवासी थी।