जवानों ने सलामी देकर फायर किया, पिता और भाई को सौंपा राष्ट्रीय ध्वज

अंतिम विदाई देने के लिए उन्हेल से वायुसेना जवान के गांव तक उमड़ा जनसैलाब

उन्हेल (संजय कुंडल), अग्निपथ। वायु सेना के दिवंगत जवान वीरेंद्र सिंह पिता फूल सिंह देवड़ा का पार्थिव शरीर बुधवार को पैतृक गांव बरखेड़ा मांडव में राजकीय सम्मान के साथ पंचतत्व में विलीन हो गया। अंतिम संस्कार के दौरान उज्जैन पुलिस लाइन से एसएएफ (SAF) के जवानों ने फायर कर सलामी देते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

दिवंगत जवान वीरेंद्र सिंह

मुंबई में ड्यूटी के दौरान वायुसेना के जवान वीरेंद्र सिंह का मंगलवार की सुबह दुर्घटना में निधन हो गया था। वायुयान से सेना जवान के शव को इंदौर लाया गया। वहां से वायु सेना के जवान अपनी फोर्स के साथ बुधवार की सुबह 11 बजे उन्हेल पहुंचे। वीरेंद्र सिंह के अंतिम दर्शन के लिए करीब 50 किमी मार्ग पर श्रद्धांजलि देने के लिए गांव गांव में राष्ट्रीय गीत बजाकर पुष्प वर्षा कर श्रद्धांजलि दी गई। उन्हेल पहुंचने पर इंगोरिया चौपाटी पर हजारों की संख्या में युवा वायु सेना के जवान की अगवानी करने के लिए एकत्रित थे। शव यात्रा का नगर में पुष्प वर्षा कर श्रद्धांजलि देने के लिए पूरा नगर देश भक्ति से ओतप्रोत लेकिन गमगीन था।

क्षेत्र के प्रशासनिक अधिकारियों ने पूरी कराई तैयारी

उन्हेल से वायु सेना जवान का पार्थिव शरीर पैतृक गांव बरखेड़ा मांडन पहुंचा। वहां पर उन्हेल सहित ग्रामीण क्षेत्र के प्रशासनिक अधिकारी कर्मचारी पहले से मौजूद थे। वायु सेना जवान के अंतिम संस्कार की तैयारियां पूर्ण कराई।

पिता को राष्ट्रीय ध्वज से सम्मानित किया

वायु सेना के जवान वीरेंद्र सिंह देवड़ा का पार्थिव शरीर जब पैतृक गांव पहुंचा तो उनके अंतिम संस्कार के दौरान वायु सेना मुंबई के कमांडेंट अधिकारी ने दिवंगत जवान के पिता फूलसिंह देवड़ा तथा उनके बड़े भाई योगेंद्र सिंह को राष्ट्रीय ध्वज देकर सम्मानित किया। उस दौरान सेना जवान के पिता की आंखों से अश्रुधारा वह निकली। वहां पर मौजूद हजारों देशभक्तों ने भारत माता की जय, जय हिंद, का जय घोष कर वायु सेना जवान को अंतिम विदाई दी।

राष्ट्रीय ध्वज सौंपने के यह है मायने

राजकीय, सैनिक, केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों के सम्मान से युक्त अंत्येष्टि के अवसरों पर शव पेटिका या अर्थी झंडे से ढक दी जाती है और झंडे का केसरिया भाग अर्थी के आगे वाले हिस्से की तरफ होता है। साथ ही कभी भी झंडे को कब्र में दफनाया या चिता में जलाया नहीं जाता है। अंतिम संस्कार से पहले ही यह झंडा शहीद के घरवालों को दे दिया जाता है। इस झंडे को समेटने का भी खास तरीका होता है, जिसमें झंडे का अशोक चक्र सबसे ऊपर होता है।

गांव में बनेगा जवान का स्मारक

वायु सेना के जवान को श्रद्धांजलि देने के लिए क्षेत्रीय विधायक रामलाल मालवीय भी उनके पैतृक गांव पहुंचे। वहां पर उन्होंने वायु सेना जवान के नाम का स्मारक बनाने के लिए ₹1 लाख देने की घोषणा की। तथा गांव में बस स्टॉप पर यात्री प्रतीक्षालय बनाए जाने की घोषणा भी की गई। गांव में श्रद्धांजलि देने के लिए कांग्रेस और भाजपा के कई नेता और पत्रकारों ने पहुंचकर पुष्पांजलि अर्पित की।

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