भागवत कथा में मनाया कृष्ण जन्मोत्सव
उन्हेल, अग्निपथ। नया बस स्टैंड स्थित मैदान में बना भागवत कथा पंडाल में बुधवार को गोकुल और वंृदावन सा नजारा था। छोटे छोटे बच्चे कान्हा और राधा का रूप धारण कर अपने बड़ों के साथ यहां पहुंचे। कथा के चौथे दिन प्रभु श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया तो पूरा पंडाल में नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की के उद्घोष के साथ प्रभु के जन्म का उल्लास छा गया।
कथा में बुधवार को राम कथा का समायोजन भी किया गया। कथा वाचक निधि एवं नेहा सारस्वत ने इस मौके पर कहा कि श्री राम और श्री कृष्ण में सबकुछ समान है लेकिन सिर्फ एक अंतर है- नयन का। एक के नयन गंभीर है और दूसरे के नयन चंचल, चपल हैं। एक में मर्यादा है तो दूसरे में चंचलता है। इस मौके पर कथा व्यास ने राम विवाह का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि मिथिला में जनकपुरी के राजा को जैसे ही ज्ञात हुआ कि विश्वामित्र गुरु के साथ पधारे तो जनक राजा बड़े मर्यादा से बड़े भावुकता से स्वागत कर उन्हें सीता स्वयंवर के लिए निमंत्रण दिया जनकपुरी राजसभा के सभामंड़प में विद्वान, ताकतवर, ज्ञानी, सम्पूर्ण कला में निपूर्ण योद्धाओ के मध्य ताकत से किसी से अलंकारी प्रभु शिव का धनुष उठा नहीं पा रहे थे उस पांडाल में मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु ने आसानी से सहजता से धनुष को उठाकर तोड़ दिया तद्पश्चात सीता स्वयंवर में आये महान ज्ञानी और योद्धाओ के मध्य अनुज लक्ष्मण के क्रोध और श्रीराम और प्रभु श्री परशुराम संवाद को नाट्य रूपांतरण कर पांडाल को जनकपुरी सा माहौल बना दिया।