सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी भुगतान नहीं करने पर सरकार कर रही कोर्ट की अवमानना
उज्जैन, अग्निपथ। विनोद और विमल मिल के श्रमिकों का बकाया भुगतान करने के आदेश के बाद भी राज्य सरकार 4353 श्रमिकों के क्लेम का भुगतान नहीं कर रही है। राज्य और केंद्र सरकार मजदूर विरोधी काम करके गरीबों के हक मार रही है और कोर्ट के आदेश की पालना नहीं करके अवमानना कर रही है।
सरकार की मनमानी और मजदूर विरोधी नीति की वजह से संयुक्त ट्रेड यूनियन संघर्ष समिति ने प्रदर्शन और भूख हड़ताल का फैसला किया है। यह मांग पूरी होने तक चलता रहेगा। उक्त बात प्रेस वार्ता में ओमप्रकाश सिंह भदौरिया, संतोष सुनहरे और हरीशंकर शर्मा, प्रद्योत चंदेल, एडवोकेट भूपेंद्र सिंह ने कही। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के पास मिल बंद होने के समय सबसे ज्यादा शेयर थे, इसलिए उसकी जिम्मेदारी बनती है कि वह मजदूरों का बकाया भुगतान करे।
सुप्रीम कोर्ट भी सरकार को इसके संबंध में आदेश दे चुकी है। परन्तु कोर्ट के आदेश के बाद भी सरकार मजदूर विरोधी नीति अपनाए हुए हैं। श्रमिक नेताओं ने कहा कि राज्य सराकर को मजदूरों का 572494583 रुपए का भुगतान करना है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि विनोद मिल की 90 बीघा जमीन परिसमापकों से कलेक्टर लेंगे और कलेक्टर प्रतिनिधि के तौर पर श्रीकांत शर्मा ने 27 फरवरी 2019 को जमीन को कब्जा ले लिया और मजदूरों के भुगतान 4 प्रतिशत और 2 प्रतिशत साधारण ब्याज के अभी तक नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 23जून 2015 और उससे पूर्व मजदूरों से वादा किया था कि उनकी एक-एक पाई दी जाएगी। परन्तु अभी तक वादे को पूरा नहीं किया। इसी तरह से मंत्री मोहन यादव और विधायक पारस जैन, सुल्तान सिंह शेखावत ने भी वादा किया था, परन्तु अपना वादा नहीं निभाया है। इससे मजूदर नाराज है। आर्थिक संकट के चलते उनके सामने गंभीर परेशानी बनी है।