झाबुआ, अग्निपथ। हिन्दू मुस्लिम और राष्ट्रवाद को मुद्दा बनाकर सत्ता में आई भाजपा सरकार महंगाई पर कोई ठोस कदम उठाने में नाकाम रही है। पेट्रोल डीजल व गैस के बढ़ते दामों ने जहाँ व्यापारियों की कमर तोड़ दी है वही उनके द्वारा मुनाफा वसूली के लिए किए जा रहे भंडारण से रसोई का बजट भी अब आम आदमी के बस से बाहर होने लगा है।
सूत्रों की माने तो जिलें में अनेक व्यापारी ऐसे है जिनके पास थोक व्यापार का लाइसेंस नही है वही उनके द्वारा आवश्यकता से अधिक भंडारण किया जा रहा है। महंगाई नियंत्रण के लिये केंद्र व राज्य शासन के केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा थोक व खुदरा व्यापारियों के लिए भंडारण सीमा निर्धारित की हुई है बावजूद इसके उस पर रोकथाम के लिए जिम्मेदार विभाग मलाई खाकर आराम कर रहे है।
शक्कर व दालों में उछाल के बाद अब खाद्य तेलों में बेतहाशा वृद्धि देखने को मिल रही है। विगत दो दिनों में ही खाद्य तेलों में 50 रुपये से लेकर 200 रुपये की वृद्धि प्रति केन (15 लीटर) देखी जा रही है जो जमाखोरी के कारण और बढऩे की संभावना है। इंदौर, रतलाम व दाहोद के मंडी में अभी दामों में आंशिक उछाल देखने को मिल रहा है जबकि थांदला व आसपास इसका दोगुना प्रभाव देखने को मिल रहा है। आम आदमी से जुड़ी इस समस्या का जवाब किसी भी राजनेताओं के पास नही दिख रहा है वही महंगाई की मार से आम आदमी मरने को मजबूर हो रहा है।