भारतीय संस्कृति अद्भुत, तलाक-दहेज हमारी परंपरा नहीं: स्वामी प्रणवानन्द

Para bhagwat katha 26 02 22

भागवत कथा में चौथे दिन श्रीकृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया

पारा, अग्निपथ। धर्म रक्षक सेवा समिति द्वारा ग्राम रोटला में आयोजित की जा रही श्रीमद भागवत कथा के चौथे दिन की कथा में व्रन्दावन धाम के महामंडलेश्वर 1008 स्वामी प्रणवानन्द सरस्वती ने हिन्दू संस्कृति ओर परम्परा के बारे में विस्तार से बताया। साथ ही भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया।

श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पूज्य महाराज श्री जी ने कथा प्रसंग का विस्तार करते हुए देवहुती कर्दम विवाह पर प्रवचन करते हुए बताया कि दहेज लेना और देना भारतीय परंपरा नहीं है कन्या के माता पिता स्वेच्छा से जो कुछ भेट अपनी पुत्री को उपहार स्वरूप देना चाहे वही मान्य और स्वीकार होना चाहिए।

तलाक भारतीय संस्कृति का अंग नहीं

श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पूज्य महाराज श्री ने जनमानस को संबोधित करते हुए भारतीय विवाह संस्कार और पद्धति का महत्व समझाया और बताया कि भारतीय समाज में विवाह एक बार ही किया जाता है विवाह संबंध विच्छेद की व्यवस्था भारतीय समाज भारतीय संस्कृति में नहीं है तलाक और डायवोर्स जैसे शब्द और यह परंपरा व्यवस्था भारतीय नहीं अपितु पाश्चात्य जगत की रही है।

श्रीमद् भागवत कथा की चतुर्थ दिवस कपिल उपाख्यान विषय पर प्रवचन करते हुए पूज्य महाराज श्री ने बताया कि भारतीय संस्कृति अद्भुत है जहां माता-पिता भी अपनी संतान से तत्व ज्ञान प्राप्त करते हुए आए हैं जहां पुत्र के चरणों में बैठकर मां देवहूति ने आत्म कल्याण का मार्गदर्शन प्राप्त किया।

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