उज्जैन, अग्निपथ। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास एवं माधव महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में माधव महाविद्यालय में एक विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन हुआ।
मुख्य अतिथि के रूप में पधारे मध्यप्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी भोपाल के संचालक अशोक कड़ेल ने कहा कि भाषा संस्कृति की संवाहक होती है। भाषा का विकास परिवार में ही होता है। हम अपनी भाषा से जुड़े रहें और उसके प्रति आत्मीयता का भाव रखें। विश्व के राष्ट्रों का विकास मातृभाषा को अपनाने से ही हुआ है। हम अपनी भाषा को अपनाकर अपना विकास करें। इस अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय हिंदी अध्ययन शाला की डॉ गीता नायक ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति को नष्ट करने की कोशिश की गई पर इसमें सफलता नहीं मिली।
शिक्षा और भाषा को अलग करके नहीं देखा जा सकता। शिक्षा अंधकार से हमें प्रकाश में लाती है। हमारी शिक्षा व्यवस्था में कई आयोगों ने यह व्यवस्था की कि हमारे छात्रों को मातृभाषा में शिक्षा दी जाए नई शिक्षा नीति में वंचितों दिव्यांगों और अनुसूचित जाति, जनजाति के विद्यार्थियों को ड्रॉपआउट से बचाने के उपाय किए गए हैं।
इस शिक्षा नीति में मातृभाषा को बहुत महत्त्व दिया गया है। यदि हमें भारतीयता को जानना है तो संस्कृत को भी पढऩा होगा इस अवसर पर शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के प्रांतीय संयोजक डॉ राकेश ढंड ने कहा कि जो मां हमें सिखाती है वही हमारी मातृभाषा है। छात्रों को अपनी भाषा को बचाने के लिए प्रयास करना चाहिए। हम अंग्रेजी की जगह अपनी हिंदी भाषा में बात करके गौरव की अनुभूति करें। भारतीय भाषा अभियान के प्रान्त संयोजक डॉ. एसएन शर्मा ने कहा कि हमारी मातृभाषा बहुत महान है हमें अपने स्थानीय मालवी भाषा में बातचीत करके भी बहुत आनंद मिलता है अलग-अलग भाषाओं के होते हुए भी हमारा देश एक है।
अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए डॉ जवाहर लाल बरमैया ने कहा कि हम लोग हिंदी भाषी हैं और हमारी संस्कृति का परचम हमारी हिंदी भाषा के माध्यम से ही विश्व में फहराया गया है। हमें अपनी भाषा पर गर्व है। हमें चाहिए कि अपनी संस्कृति को बचाने के लिए अपनी भाषा में ही कार्य करें।
संचालन डॉ जफर महमूद ने किया। स्वागत भाषण डॉ. नीरज सारवान ने दिया और आभार व्यक्त किया डॉ अल्पना उपाध्याय ने। इस अवसर पर डॉ. दिनेश जोशी, मीनाक्षी नागर, डॉ. मंसूर खान, डॉ. जीवनबाला लुणावत, डॉ. मोहन निमोले, डॉ शोभा मिश्रा, रफीक नागौरी, डॉ. ममता पंवार, डॉ. संदीप लांडे, प्रो संजय बघेल आदि विशेष रूप से उपस्थित थे।