सोयत नगर परिषद के स्वच्छता प्रभारी को लोकायुक्त ने दबोचा
उज्जैन/सुसनेर। उज्जैन लोकायुक्त की टीम ने शुक्रवार को आगर जिले के सोयत नगर परिषद के स्वच्छता प्रभारी को 32 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। स्वच्छता प्रभारी ने अपनी ही परिषद के दरोगा से रिश्वत की मांग की थी। दरोगा नगर में लगभग 50 हजार रुपए लागत की सफाई के काम आने वाली सामग्री खरीदना चाहता था, इसी की मंजूरी के लिए रिश्वत की मांग की गई थी।
शुक्रवार दोपहर उज्जैन से लोकायुक्त निरीक्षक राजेंद्र वर्मा की अगुवाई वाली टीम सोयत पहुंची और नगर परिषद के बाहर से स्वच्छता प्रभारी कमल किशोर शर्मा को रिश्वत की रकम लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। लोकायुक्त निरीक्षक राजेंद्र वर्मा के मुताबिक कमल किशोर शर्मा के खिलाफ शिकायत सहायक दरोगा राकेश कुमार छपरबंद ने की थी।
राकेश कुमार को सफाई के काम में उपयोग आने वाली कुछ सामग्री खरीदना थी। 1 लाख रूपए से कम राशि की सामग्री खरीदी के लिए टेंडर प्रक्रिया का उपयोग नहीं किया जाता लिहाजा राकेश कुमार ने नगर परिषद के सीएमओ को आवेदन देकर उसे स्वच्छता प्रभारी कमल किशोर शर्मा के पास मार्क करवा लिया।
कमल किशोर शर्मा के पास से सामग्री खरीदी की फाईल स्वीकृत होकर एकाउंट डिपार्टमेंट में जाती और यहां से खरीदी गई सामग्री के लिए कोटेशन आधार पर भुगतान स्वीकृत हो जाता। स्वच्छता प्रभारी कमल किशोर शर्मा ने बजाए फाईल को मंजूरी दिए उसे अपने पास अटका लिया और राकेश कुमार से फाईल को आगे बढ़ाने के एवज में 32 हजार रुपए मांगे।
राकेश कुमार ने 25 फरवरी को लोकायुक्त को मामले की शिकायत की थी। शुक्रवार को लोकायुक्त टीम ने राकेश कुमार को केमिकल लगे 32 हजार रूपए के नोट लेकर कमल किशोर शर्मा के पास भेजा, जैसे ही कमल किशोर ने नोट हाथ में लिए लोकायुक्त टीम ने उसे धर दबोचा।
साहब के लिए मांगे थे 15 हजार
सोयत नगर परिषद के स्वच्छता प्रभारी कमल किशोर शर्मा को ट्रेप करने से पहले लोकायुक्त टीम ने राकेश कुमार से उसके साथ हुई बातचीत को भी रिकार्ड करवाया। 25 फरवरी को शिकायत हुई और 26 फरवरी को राकेश कुमार ने कमल किशोर के साथ हुई बातचीत को रिकार्ड किया। इस बातचीत में कमल किशोर शर्मा रिश्वत के 32 हजार रूपए का हिसाब राकेश कुमार को बता रहा है।
उसने कहा कि फाईल स्वीकृत करने के एवज में 8 हजार रूपए मेरे लगेंगे, 15 हजार रूपए साहब को जाएंगे और 9 हजार रूपए दाडक़ी मजदूरी वाले खाते के देना पड़ेंगे। दरअसल, नगर परिषद हो या नगर निगम, हर साल स्वच्छता के नाम पर निकायों में स्थाई या दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के अलावा भी ठेके या दिहाड़ी पर स्वच्छता श्रमिक लगाए जाते है।
अधिकांश निकायों में रजिस्टरों पर इनकी संख्या कुछ और होती है और फील्ड में काम करने वाले श्रमिकों की संख्या कुछ ओर होती है। कागजों पर ज्यादा श्रमिक दर्शाकर उनकी मजदूरी के रूपए आहरित किए जाते है। सोयत में भी सहायक दरोगा से इसी एवज में रूपए मांगे गए थे।