इंदौर। हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ की जज वंदना कसरेकर का रविवार को निधन हो गया। वरीयता क्रम में सातवें नंबर पर रहीं जस्टिस कसरेकर लंबे समय से किडनी की बीमारी से परेशान थीं। इसी दौरान वह कोरोना से संक्रमित भी हो गई थीं। जस्टिस की मौत के बाद जनसंपर्क विभाग ने एक बड़ी गलती कर दी। कांग्रेस का आराेप है कि इंदौर हाईकोर्ट की न्यायधीश की मौत के बाद जनसंपर्क विभाग ने किसी दूसरे न्यायाधीश की फोटो लगाकार उन्हें श्रद्धांजलि दे दी।
कांग्रेस के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा का कहना था कि जनसंपर्क विभाग द्वारा दिवंगत न्यायाधीश वंदना कसरेकर की जगह उच्च न्यायालय की ही अन्य न्यायाधीश की तस्वीर लगाकर मुख्यमंत्री की तरफ से श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है। यह कितनी बड़ी लापरवाही, कितना शर्मनाक है।
वहीं, जनसंपर्क अधिकारी आर आर पटेल का कहना है कि सोशल मीडिया से ली गई जानकारी के बाद यह गलती हुई है। हिंदी में न्यायाधीश का नाम लिखने पर यही फोटो सामने आ रहा था। इसी कारण से यह हुआ है। मामला सामने आने पर हम गलती करने वाले सोशल मीडिया हैंडलर पर कार्रवाई कर रहे हैं। वहीं, नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे ने कहा कि यह जनसंपर्क की गलती है। वही, बता सकते हैं कि यह कैसे हुआ।
मार्च में तबीयत ठीक नहीं होने के कारण कोर्ट नहीं आ रही थीं
जस्टिस कसरेकर 24 मार्च को लाॅक डाउन लगा था, लेकिन वह उसके भी कुछ दिन पहले स्वास्थ्य कारणों से हाईकोर्ट नहीं आ रहीं थी। वह अपने बंगले से ही प्रकरणों की सुनवाई कर रही थीं। जस्टिस कसरेकर दूसरी ऐसी महिला जज थीं, जिनका पद पर रहते हुए निधन हुआ। उनके पहले जस्टिस शुभदा आर. वाघमारे का हार्ट अटैक की वजह से निधन हो गया था।
वकीलों का पैरवी नहीं करने का फैसला
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सदस्य वकील सोमवार को पैरवी नहीं कर रहे हैं। एसोसिएशन की आजीवन सदस्य जस्टिस वंदना कसरेकर का निधन हो जाने के चलते यह फैसला लिया गया है। हाईकोर्ट द्वारा सुनवाई का रोस्टर जारी किया गया है, लेकिन वकीलों ने पैरवी नहीं करने का फैसला लिया है।