भडक़ गए ‘मनीराम’, आयुक्त को छोडऩा पड़ी अपनी ही कुर्सी

नगर निगम

नगर निगम में प्रोजेक्ट सेल की मीटिंग के दौरान कर्मचारी हुआ आयुक्त पर नाराज

उज्जैन, अग्निपथ। नगर निगम में बुधवार की दोपहर करीब 2 बजे अजीब स्थिति बन गई। निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता के चैंबर में निगम के ही एक कर्मचारी तैश में आकर घुसे और आयुक्त को खूब खरी-खोटी सुना डाली। आयुक्त इस वक्त प्रोजेक्ट सेल की महत्वपूर्ण बैठक ले रहे थे और उनके आसपास कई सारे दूसरे अफसर और इंजीनियर मौजूद थे।

आपसी कहासुनी इतनी बढ़ी कि आयुक्त अपनी कुर्सी छोडक़र चेंबर के साथ वाले कमरे में चले गए और कर्मचारी को सहकर्मी शांत कर बाहर लेकर आए।

नगर निगम की स्थापना शाखा में अधीक्षक मनीराम रघुवंशी 7 फरवरी से बीमार होने की वजह से नगर निगम नहीं आ पा रहे थे। 52 साल के मनीराम रघुवंशी को कमर दर्द की शिकायत थी। उन्होंने अवकाश के लिए बकायदा आवेदन भी दिया था। बुधवार को जब वे मेडिकल अवकाश से वापस लौटे तो पता चला कि आयुक्त ने उनका फरवरी महीने का वेतन रूकवा दिया है।

बीमार और बीमारी में हुए खर्च की वजह से पहले से परेशान मनीराम रघुवंशी वेतन रोके जाने से खासे नाराज हुए। इसी वजह से खासा हंगामा खड़ा हो गया। बुधवार की शाम को ही आयुक्त अंशुल गुप्ता के निर्देश के बाद सहायक आयुक्त प्रदीप सेन ने कर्मचारी मनीराम रघुवंशी को एक लेटर दिया। इस लेटर में लिखा था- आपने मेडिकल अवकाश के लिए आवेदन जरूर दिया है लेकिन उसके लिए निर्धारित प्रोफार्मा नहीं भरा है, कृपया पहले निर्धारित प्रोफार्मा में आवेदन किजिए ताकि आपका मेडिकल अवकाश स्वीकृत कर वेतन जारी करने की कार्यवाही पूर्ण की जा सके।

फ्लावर समझा क्या

पुष्पा फिल्म का एक वर्ल्ड फेमस डॉयलॉग है-फ्लॉवर समझा क्या…? निगम मुखिया पर यह डॉयलॉग सटिक बैठता है। हर कोई फ्लॉवर समझ कर उनसे ऐसे ही उलझ जाता है। यह दूसरा मौका है जब अधिनस्थ कर्मचारी का गुस्सा शांत करने के लिए खुद आयुक्त को पीछे हटना पड़ा। इसे उनकी सहनशीलता और परिपक्वता ही कहा जाएगा।

इससे पहले ग्रांड होटल कैंपस में अपर आयुक्त राधेश्याम मंडलोई भी सार्वजनिक रूप से आयुक्त से भिड़ गए थे, तब भी आयुक्त तैश में नहीं आए और उन्होंने विवाद वाली जगह ही छोड़ दी। ये बात अलग है कि इस घटनाक्रम के बाद से राधेश्याम मंडलोई खुद उज्जैन से अपना ट्रांसफर मांग रहे हैं।

कुछ ऐसा रहा घटनाक्रम

  • ह्म्दोपहर करीब 2 बजे वेतन रोके जाने से नाराज मनीराम आयुक्त से बात करने पहुंचे। बाहर से अपने नाम की स्लिप भेजी, बाहर इंतजार करते रहे लेकिन आयुक्त ने चैंबर में नहीं बुलाया।
  • मनीराम रघुवंशी की नाराजगी बढ़ी तो वे खुद ही चैंबर का दरवाजा खोलकर बिना अनुमति भीतर घुस गए और सीधे आयुक्त से कहा- मैं बीमार था, मैने अवकाश के लिए आवेदन भी किया था फिर भी मेरी तनख्वाह क्यों रोकी गई।
  • आयुक्त ने अपने पीए को बुलाया। मनीराम से कहा- आप बिना परमिशन भीतर आ गए, खैर- इन्हें अपनी समस्या बता दिजिए, जो भी हल होगा उसे करवाएंगे।
  • मनीराम रघुवंशी ने जवाबी पलटवार किया- पीए क्या समझेंगे, आपने सबको प्रताडि़त कर रखा है। मैं एक महीने से बीमार था, मेरे परिवार को पैसों की जरूरत है। आप मेरा वेतन निकलवाईए बस।
  • आयुक्त ने कहा- मैं आपसे अभी कोई बात नहीं करना चाहता। इतना कहकर वे अपनी कुर्सी से उठकर बगल वाले कमरे में चले गए। मनीराम रघुवंशी को भी निगम इंजीनियर कक्ष से बाहर लेकर आए।

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