ई-चालान: जनता की जेब ढीली, नेता बने अंजान

ujjain Echalan 11 03 22

17 महीनें में 60 हजार से ज्यादा ऐसे ई-चालान बने जिनकी रकम ही नहीं वसूल पाए

उज्जैन। उज्जैन शहर में लागू किए गए इंटिग्रेडेट ट्रेफिक मैनेजमेंट सिस्टम को शहर के ही 60 हजार से ज्यादा लोगों ने हल्के में लिया है। विभिन्न चौराहों पर यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले 60 हजार 78 लोगों के ई-चालान तो बनाए गए लेकिन उनके नाम-पते, मोबाइल नंबर ही नहीं मिल सके।

यातायात नियम तोडऩे वालों पर 3 करोड़ 39 लाख रूपए बकाया है लेकिन रकम वसूल कैसे की जाए, इस सवाल का जवाब नहीं मिल सका है। आम लोगों ने तो ई-चालान का जुर्माना भरा लेकिन शहर में ऐसे भी लोग है जिनके खिलाफ 30-30 चालान बन गए लेकिन वे अनजान ही बने रहे, इनमें से कई राजनीति के क्षेत्र से जुड़े है।

शहर में 16 चौराहों पर कंप्यूटराइज्ड सिग्नल और कैमरे इंस्टाल करने के बाद 20 अक्टूबर 2020 से ई-चालान काटने की शुरूआत की गई थी। चौराहों पर लगे कैमरों ने 17 महीने की अवधि में 74 हजार 817 वाहन चालकों को यातायात नियमों का उल्लंघन करते हुए पकड़ा। लापरवाह वाहन चालकों के खिलाफ 250 रूपए से लेकर 1 हजार रूपए तक के ई-चालान बनाए गए।

74 हजार 817 में से महज 14 हजार 739 ही वाहन चालक ऐसे निकले, जिन्होंने ई-चालान जमा कराया। ऐसे लोगों से करीब 72 लाख रूपए जुर्माने की वसूली की गई। शेष 60 हजार 78 वाहन चालकों के नाम-पते, मोबाइल नंबर नहीं मिल पाने की वजह से इनसे जुर्माने की वसूली नहीं हो सकी है।

सार्वजनिक किए जाने लगे नाम

30-30 चालान बन जाने और 15 से 16 हजार रूपए तक जुर्माने की रकम पहुंचने के बावजूद भी कई प्रभावशाली लोगों ने जुर्माना जमा नहीं कराया है। स्मार्ट सिटी कंपनी और ट्रेफिक पुलिस ने अब ऐसे लापरवाह लोगों के नाम सार्वजनिक करना शुरू कर दिया है।

शहर में लगे स्मार्ट सिटी के विभिन्न डिस्प्ले पर इनके नाम, चालान की संख्या और चालान की रकम सार्वजनिक प्रदर्शित की जा रही है। इनमें राजनैतिक क्षेत्र से जुड़े मुकेश भाटी, प्रताप सिंह गुर, अंजनेश शर्मा, राजेश यादव के नाम भी शामिल है।

फिटनेस रूका तब भरा चालान

शुक्रवार को शहर के एक ख्यात बस मालिक अपनी बस का फिटनेस सर्टिफिकेट रिन्यू कराने आरटीओ पहुंचे। यहां पहुंचे तो पता चला कि उनकी बस का फिटनेस रिन्यू नहीं हो सकता, क्योंकि उन पर 30 से ज्यादा ई- चालान बकाया है। रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर बदल जाने की वजह से ई-चालान बस मालिक तक नहीं पहुंच सके और ड्राइवर उल्लंघन पर उल्लंघन करता रहा। फिटनेस बनवाना जरूरी था लिहाजा ताबड़तोड़ ई-चालान की रकम जमा कराई तब कहीं जाकर फिटनेस रिन्यू हो सका।

इन वजहों से नहीं मिल रहे नाम

  • ई-चालान में बड़ी संख्या बस, ऑटो रिक्शा, मैजिक वालों के है। इनके ड्राइवर समझाईश के बावजूद लगातार यातायात नियमों का उल्लंघन करते रहे है।
  • दो पहिया वाहन मालिकों ने अपने वाहन बेच दिए लेकिन खरीदने वाले ने इन्हें आरटीओ में अपने नाम रजिस्टर्ड ही नहीं कराया। ऐसे वाहनों की संख्या हजारों में है।
  • हजारों वाहन चालकों ने वाहन रजिस्ट्रेशन के साथ अपने जो मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड करा रखे थे, वे कभी के बदल गए। नए नंबर रजिस्टर्ड ही नहीं करा पाए।
  • वाहन विक्रय एजेंसियों से जारी अस्थाई नंबरों पर ही लंबे वक्त तक वाहन चलाए गए, आरटीओ से इनके नए नंबर ही नहीं लिए गए।

इनका कहना

मध्यप्रदेश में जहां भी आईटीएमएस सिस्टम लागू है, उनमें सबसे अच्छा परफार्मेंस उज्जैन का है। यह बात जरूर है कि चालान नहीं भरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। चालान की रकम वसूलने के लिए लोगों के नाम सार्वजनिक करना और आरटीओ से समन्वय बनाकर उनसे वसूली करने के प्रयास जारी है। – आशीष पाठक, सीईओ स्मार्ट सिटी कंपनी

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