शनि, राहु, केतु बदलेंगे राशि, अलग-अलग प्रकार से देखने को मिलेगा परिवर्तन
उज्जैन, अग्निपथ। पंचांग की गणना एवं ग्रह गोचर के सिद्धांत के अनुसार देखें तो चैत्र शुक्ल पक्ष में 12 अप्रैल एकादशी तिथि पर मंगलवार के दिन राहु व केतु का राशि परिवर्तन होगा। साथ ही 29 अप्रैल को वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर शनि का भी राशि परिवर्तन होगा।
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डिब्बवाला ने बताया कि एक माह में इन तीन प्रबल ग्रहों का राशि परिवर्तन करना बड़ा महत्वपूर्ण हैं, यह संसार की गति एवं परिस्थितियों को बदलने में सक्षम रहते हैं। हमेशा वक्र गति से चलने वाले राहु केतु दोनों ही अपनी राशि एक साथ बदलते हैं। वर्तमान में राहु वृषभ तथा केतु वृश्चिक राशि में गोचरस्थ है। 12 अप्रैल के दिन में 12.20 पर राहु का वृषभ राशि छोडक़र मेष राशि में प्रवेश होगा। वहीं केतु का वृश्चिक राशि को छोडक़र तुला राशि में प्रवेश होगा।
मेष राशि के राहु का प्रभाव क्या होगा
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में अलग-अलग राशि पर ग्रहों के अलग-अलग प्रभाव का गोचर अनुक्रम होता है। मेष राशि पर राहु का परिभ्रमण 18 माह का रहेगा। मेष राशि का स्वामी मंगल है और नैसर्गिक दृष्टिकोण से राहु मंगल की शत्रुता रहती है। ऐसी स्थिति में शासन प्रशासन तथा राजनीति में उठापटक की स्थिति बनेगी। वही भूमि भवन से संबंधित निर्माण कार्य करें। अभिवृद्धि का भी संकेत मिलेगा यही नहीं राहु के मेष राशि पर गोचर करने से तापमान में वृद्धि तथा प्राकृतिक परिवर्तन दिखाई देगा।
तुला राशि के केतु का प्रभाव
केतु का तुला राशि में प्रवेश भी 18 माह का रहेगा तुला राशि का स्वामी शुक्र है शुक्र की राशि में केतु का गोचर करना अच्छा माना जाता है क्योंकि नैसर्गिक दृष्टिकोण से शुक्र केतु का मित्र है इस दृष्टि से बहुत से क्षेत्रों में अनुकूलता के साथ सांस्कृतिक तथा ऐतिहासिकता का भी दबदबा रहेगा। कला तथा निर्देशन के क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन तथा श्रेष्ठ जनों के आगमन की स्थिति बनेगी।
29 अप्रैल को शनि का कुंभ राशि में प्रवेश
ग्रह गोचर की गणना का आधार पर देखें तो वर्तमान में शनि मकर राशि पर गोचर कर रहे हैं। शनि का एक राशि पर गोचर तकरीबन ढाई वर्ष का होता है। 29 अप्रैल को दिन में शनि का मकर राशि को छोडक़र कुंभ राशि में प्रवेश होगा। कुंभ राशि का यह प्रवेश काल 29 अप्रैल से लेकर 12 जुलाई तक रहेगा।
अर्थात तकरीबन 72 दिन के इस प्रवेश काल का शुभ प्रभाव जनमानस तथा सांसारिक दृष्टिकोण से दिखाई देगा 12 जुलाई के बाद शनि पुन: वक्री होंगे और मकर राशि पर गोचर करेंगे। गोचर का यह समय 23 अक्टूबर तक विशेष रूप से दिखाई देगा। 12 जुलाई के बाद वक्र गति का शनि पुन: मकर राशि में होकर अलग-अलग प्रकार के रोगों की स्थिति उत्पन्न कर सकता है। संभवत: यह संक्रमण को पुनरस्थापित कर सकता है इस दृष्टिकोण से जनता को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना होगा।