रंग प्रवीण शेखर नाट्य समारोह की दूसरी संध्या में हुआ ‘हवालात’ का मंचन
उज्जैन, अग्निपथ। अभिनव रंगमंडल द्वारा आयोजित रंग प्रवीण शेखर नाट्य समारोह की दूसरी शाम हवालात नाटक का मंचन किया गया। समकालीन भारतीय समाज और इसके केन्द्रीय पात्र जिस बड़े और ज़रूरी सवाल से जूझ रहे हैं, उसी सवाल से मुठभेड़ दिखी नाट्य प्रस्तुति ‘हवालात’ में। इसमें आम इंसान के संघर्ष, संकल्प और स्वप्न की दुनिया में आवा-जाही नजर आई।
रंगमंडल प्रमुख शरद शर्मा के अनुसार कालिदास अकादमी के अभिरंग नाट्यगृह में अभिनव रंगमंडल द्वारा आयोजित रंग प्रवीण शेखर नाट्य समारोह की दूसरी संध्या का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन कर वरिष्ठ पत्रकार रामशरण जोशी, परवेज अहमद, निगम कमिश्नर अंशुल गुप्ता, एरिया मैनेजर श्री सिंह, सीए योगेश भार्गव, कालिदास अकादेमी के निदेशक डॉ. संतोष पंड्या ने किया। प्रवीण शेखर निर्देशित और बैकस्टेज प्रयागराज की यह प्रस्तुति संरचना किसी शैली विशेष में न होकर कई शैलियों का मेल है, जिसका ट्रीटमेंट आधुनिक नाट्य युक्तियों से किया गया। कहने को अधिक असरदार बनाने के लिए सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की मूल कृति में कुछ दृश्य और जोड़े गए। साथ ही केदार नाथ अग्रवाल की कविताएँ शामिल की गई हैं। सुचिंतित निर्देशकीय युक्तियों और अभिनेताओं की सशक्त देहभाषा से इस प्रस्तुति की नाट्य भाषा बेहद प्रभावी है।
इसके अभिनेताओं में सतीश तिवारी (सिपाही), भास्कर शर्मा, अंजल सिंह, कौस्तुभ पाण्डेय (सभी युवक) ने खूब प्रभावित किया। कुल चार पात्र हैं ‘हवालात’ में – सबके सब पुरुष। तीन युवा और एक सिपाही। ये युवा मध्यवर्गीय समाज के हैं ओर शिक्षित होने के बावजूद दारिद्रय के शिकार हैं। हाड़ कंपाती कडक़ती ठंड में उनके पास अंग ढकने के लिए मामूली गर्म कपड़े तक नहीं हैं।
सिपाही की धौंस से उनमें डर का संचार नहीं होता, बल्कि वे प्रसन्न होते हैं और हवालात में ले जाकर बंदी बना देने की याचना करते हैं। युवकों को लगता है कि वहां दुनिया बेहतर होगी क्योंकि वहाँ पेट की आग बुझाने के लिए कुछ तो होगा ही और ठंड से मुक्ति भी मिल जाएगी। हवालात जाने की लालच में वे इतना व्यग्र हो जाते हैं कि खुद को जेबकतरा, हत्यारा और नक्सलाइट तक इकबाल करते हैं। पट्टी खुलने पर तीनों युवक पाते हैं कि वे जहां के तहाँ खड़े हैं यानी दूरी उन्होंने चाहे जितनी तय की हो लेकिन विस्थापन शून्य है।
चेतना को सन्न कर देने वाली स्थिति है यह। वे सिपाही को बताते हैं कि उसकी स्थिति उनसे बेहतर नहीं है। उन सबको व्यवस्था निगल रही हैं। वे चारों किसी अदृश्य हाथों निचोड़े जा रहे हैं। फर्क नहीं है उनमें – इनमें। सिपाही युवकों का तर्क सुनकर भीतर तक दहल जाता है और खिन्न, क्षुब्ध मन से चला जाता है।
40 वें वर्ष में अभिनव रंगमंडल का प्रवेश
शरद शर्मा ने बताया कि उज्जैन की सर्वाधिक सक्रिय संस्था अभिनव रंगमंडल ने इस वर्ष अपनी स्थापना के 40 वें वर्ष में प्रवेश किया है, इस अवसर पर संस्था द्वारा रंग प्रवीण शेखर नाट्य समारोह का आयोजन किया जा रहा है। समारोह में मंचित तीनों नाटक प्रवीण शेखर के निर्देशन में है। प्रवीण शेखर अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त रंगकर्मी रतन थियम के शिष्य हैं, नाटकों का प्रदर्शन बैक स्टेज नाट्य दल प्रयागराज द्वारा किया जा रहा है।
आज तीस मार खां
शरद शर्मा ने बताया कि आज अंतिम संध्या 13 मार्च को नीलेश रघुवंशी का नाट्य रूपांतर व मिग्युल डी सर्वान्तेस के उपन्यास पर आधारित नाटक तीस मार खां का मंचन उत्तर मध्यक्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज के सहयोग से होगा। समापन अवसर पर प्रवीण शेखर का सम्मान भी किया जाएगा। नाटक कालिदास अकादमी के अभिरंग नाट्यगृह में प्रतिदिन निर्धारित समय संध्या 7:30 पर मंचित होंगे। दर्शकों से अनुरोध है कि निर्धारित समय पर पहुंचकर सहयोग प्रदान करें।