पोलाय कला, अग्निपथ। सरकार के आदेश के बाद भी निजी स्कूल संचालक अपनी मनमानी करते हुए नजर आ रहे हैं। मामला पोलायकलां के लोटस इंटरनेशनल स्कूल का है जहां 30 से ज्यादा बच्चे परीक्षा देने से वंचित रह गए। बच्चों का कसूर यह था उनकी फीस नहीं जमा हो सकी।
भले ही मध्य प्रदेश सरकार ने सभी स्कूलों को निर्देश दिए हैं कि फीस के कारण किसी भी बच्चे को परीक्षा से वंचित न किया जाए लेकिन स्कूली शिक्षा मंत्री के गृह जिले में ही फीस के कारण बच्चों को परीक्षा में शामिल नहीं होने दिया। यहां के लोटस इंटरनेशनल में मासूम बच्चों को फीस के लिए टॉर्चर किया जा रहा। जिनकी फीस जमा नहीं हुई उन्हें परीक्षा से भी वंचित किया गया और स्कूल में अलग बिठाया जा रहा है। पेरेंट्स के फीस न भरने की सजा मासूम उठा रहे हैं। बच्चों और अभिभावकों ने स्कूल प्रबंधन पर आरोप लगाएं फीस के लिए परेशान किया जा रहा और बच्चों को अलग बिठाया जा रहा है।
30 से ज्यादा बच्चे परीक्षा से वंचित
पेरेंट्स अखिलेश मंडलोई ने बताया मेरे और मेरे भाई के 4 बच्चे इस स्कूल में पढ़ते हैं। पिछले वर्ष की पूरी फीस जमा कर दी गई लेकिन इस वर्ष की फीस बकाया है। जिसके चलते बच्चों को परीक्षा नहीं देने दी गई और स्कूल में उन्हें टॉर्चर किया जा रहा है। बच्चे घर आकर रोते हैं। फीस ना भरने पर यूकेजी से लेकर सातवीं तक के बच्चों को स्कूल प्रबंधन ने परीक्षा में शामिल नहीं होने दिया। इसी तरह के आरोप कमल सिंह ने भी लगाए। उन्होंने कहा मैं आर्थिक रूप से कमजोर हूं और दस हजार रुपए प्रतिवर्ष फीस जमा करने की बात की थी और तीन वर्षों से भर भी रहा हूं लेकिन इस वर्ष फीस के लिए 20 हजार रुपए मांगे गए। देने से मना कर दिया तो मेरी बेटी को परेशान किया जा रहा। उसे स्कूल में अलग बिठाया जा रहा और धूप में भी खड़ा किया गया।
कोरोना के चलते फीस न जमा कर सकें पेरेंट्स
कोरोना के चलते दो वर्षों में बहुत से पेरेंट्स आर्थिक समस्या के चलते फीस नहीं भर पाएं। दो वर्षों से बच्चों की पढ़ाई आनलाइन हो रही थी लेकिन उसमें भी फीस न भरने पर बच्चों को पढ़ाई से वंचित किया गया। प्रदेश में स्कूलों को निर्देश दिए गए कि फीस के कारण किसी भी बच्चे को परीक्षा से वंचित न किया जाए लेकिन यहां 30 से ज्यादा बच्चे परीक्षा से वंचित रह गए। जबकि पूरे वर्ष की फीस ली गई और स्कूल मात्र 4 महीने लगा सरकार इस पर संज्ञान ले और ऐसे स्कूल संचालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले स्कूलों को बंद करें।