दुनिया के सबसे बड़े प्रजातांत्रिक देश मेरे भारत का मतदाता भी शायद अब करवट बदल रहा है? हिंदुस्तान की आजादी के बाद भारतीय मतदाताओं पर अनेक अवसरों पर अपरिपक्वता के आरोप भी लगे जो स्वाभाविक भी था क्योंकि जब दस्य सुंदरी फूलनदेवी देश की सर्वोच्च संवैधानिक संस्था लोकसभा में पहुँच गयी थी तब यह तो होना ही था।
परंतु देश के 90 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने समय समय पर अपनी समझदारी और सूझबूझ का भी परिचय दिया है। जिसका सबसे बड़ा उदाहरण सन् 1975 में लागू आपातकाल के बाद हुए आम चुनाव थे, जिसमें भारतीय मतदाताओं ने तत्कालीन सत्तारूढ़ दल को जड़ से उखाड़ फेंका था।
आजादी के 75 वर्षों बाद देश में ना तो आदर्शों की राजनीति रही ना ही नैतिक मूल्यों वाले राजनेता । शनै-शनै देश की राजनीति में बाहुबलियों, अपराधियों, असामाजिक तत्वों का प्रवेश होता रहा। और वह प्रजातंत्र के मंदिरों, लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभाओं में पहुँचने लगे। 20वीं सदी के अंत से प्रारंभ होकर 21वीं सदी में यह तबका इतना सशक्त हो गया कि इसने देश के सभी राजनैतिक दलों में अपनी घुसपैठ कर ली। फिर चाहे वह काँग्रेस हो, भारतीय जनता पार्टी हो, समाजवादी पार्टी हो या बहुजन समाज पार्टी या राष्ट्रीय जनता दल, सभी राजनैतिक दलों में वर्तमान में अपराधी मौजूद हैं।
अवांछनीय तत्वों के राजनीति प्रवेश से अच्छे लोग बाहर होने लगे। देश में चुनाव धनबल – बाहुबल से जीते जाने लगे मतदाताओं को प्रलोभन के रूप में शराब – कबाब परोसा जाने लगा। छोटे से छोटे चुनाव ग्राम पंचायत से लेकर लोकसभा चुनावों में धनवर्षा होने लगी और देश का मतदाता खरीदा जाने लगा।
भारतीयों की यह आम धारणा बन गयी है कि राजनीति गुण्डे-बदमाशों के ही बस की बात है। आम और अच्छे आदमी के लिये राजनीति में अब कोई जगह नहीं है।
परंतु देश के 2.14 करोड़ मतदाताओं वाले राज्य ‘पंजाब’ जो कि फारसी शब्द है जिसमें पंज का अर्थ पाँच और अब का अर्थ जल । झेलम, चेनाब, राबी, व्यास, सतलज नदियों और वीरों की उर्वरा भूमि ने 10 मार्च को जो चुनाव परिणाम दिया वह इस प्रदूषित राजनैतिक तपन में शांति और सकून देने वाला है।
जिसने पूरे देश को यह संदेश दिया कि मेरा भारत अब बदल रहा है। मात्र 10 साल पुरानी आम आदमी पार्टी ने देश की राजधानी दिल्ली के बाद पंजाब पर भी कब्जा कर लिया।
वह भाजपा-काँग्रेस को छोड़कर एकमात्र ऐसा राजनैतिक दल है जिसका अब दो राज्यों पर कब्जा। पंजाब में काँग्रेस और भारतीय जनता पार्टी जैसे कद्दावर राजनैतिक दलों के सामने आम आदमी पार्टी की लड़ायी वैसी ही थी जैसे ‘दिये और तूफान की’। परंतु पंजाब के मतदाताओं ने 117 सीटों में से 92 पर आप के प्रत्याशियों को जिताकर इतिहास रच दिया।
तारीफ करना होगी अरविन्द केजरीवाल की निडरता, संजीदगी और बेबाकी की जिन्होंने राजनेता, समाजसेवी, हास्य कलाकार, गायक, अभिनेता 48 वर्षीय जट्ट सिख भगवंत मान को मुख्यमंत्री का चेहरा बताया। 16 और 17वीं लोकसभा के लिये संगरुर से सांसद भगवंत मान का राजनैतिक सफर ज्यादा पुराना नहीं है।
17 अक्टूम्बर 1973 को शिक्षक मोहिन्दर सिंह के यहाँ जन्में भगवंत मान का नाम ‘जुगनू’ भी है। भगवंत की शादी इंद्रजीत कौर से हुयी थी परंतु 2015 में तलाक हो गया। पंजाब के भावी मुख्यमंत्री के एक पुत्र व एक पुत्री हैं।
भगवंत ने 2011 में मनप्रीत सिंह बादल द्वारा बनायी राजनैतिक पार्टी पंजाब पीपुल्स पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी और 2012 में लहरा विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा का चुनाव भी लड़ा जिसमें वह हार गये।
2014 में आप पार्टी के सदस्य बने और संगरुर से लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने। 1994 से फिल्म ‘कचहरी’ से फिल्मी दुनिया में कदम रखा और 2018 तक 12 फिल्मों में अभिनय भी किया।
बी. ए. प्रथम वर्ष उत्तीर्ण जुगनू के खिलाफ चुनाव दौरान सोश्यल मीडिया पर बहुत दुष्प्रचार भी हुआ। उन्हें शराबी बताया गया परंतु यह दुष्प्रचार भी पंजाब के मतदाताओं के निर्णय को डिगा नहीं पाया। ईमानदारी के लिये मशहूर भगवंत मान आज शहीद भगतसिंह के गाँव में जाकर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे जो कि एक अच्छा कदम है।
आम आदमी पार्टी के अरविन्द केजरीवाल ने अपनी ही पार्टी के विधायकों को सख्त लहजे में चेतावनी देकर कहा कि जिस विधायक की भी भ्रष्टाचार की शिकायत आयेगी वह जेल के सींखचों के पीछे होगा। एक और आदेश शीघ्र जारी होगा जिसमें पंजाब के सभी शासकीय कार्यालयों में से नेताओं की तस्वीरें हटायी जायेगी चाहे वह प्रधानमंत्री की हो या मुख्यमंत्री की उनके स्थान पर बाबा भीमराव अंबेडकर जी और शहीद भगतसिंह की तस्वीरें लगेंगी।
पंजाब में बहुत सारे नेताओं की सुरक्षा में लगे सुरक्षाकर्मी हटाये जायेंगे। पंजाब सरकार और जो महत्वपूर्ण फैसले लेने जा रही है उसमें खेती के लिये 12 घंटे मुफ्त बिजली, वृद्धावस्था पेंशन अब 2500/- रुपये प्रतिमाह, महाविद्यालयों में मुफ्त शिक्षा के साथ वाय-फाय, हर स्कूल सीसीटीवी कैमरे से लेस होगा, पुलिसकर्मियों की अब सिर्फ 8 घंटे ड्यूटी करना होगी, पंजाब में 25 लाख नौकरियां, किसानों व खेत मजदूरों का कर्जा माफ होगा, हर घर को प्रतिमाह 300 यूनिट बिजली मुफ्त, पुरानी पेंशन योजना की बहाल होगी।
आम आदमी पार्टी के 92 विधायकों में से 6 चिकित्सक, 2 गायक, 3 प्रोफेसर, 11 वकील, 2 गीतकार, 2 प्राचार्य, 2 शिक्षक, 7 मजदूर, 6 इंजीनियर, 21 किसान, 9 व्यापारी, 5 खिलाड़ी एवं 2 पुलिस कर्मचारी है । उम्मीद की जानी चाहिये कि पंजाब में अब शुचिता की राजनीति होगी जो पूरे देश के लिये एक आदर्श होगा और दूसरे राजनैतिक दल भी इससे सबक लेंगे ।
सशक्त विपक्ष की भूमिका निभानी की जिम्मेदारी जिस काँग्रेस के कंधों पर थी वह गुजरे जमाने की बात हो गयी और शायद आने वाले वर्षों में भाजपा का काँग्रेस मुक्त भारत का सपना भी साकार हो जाये । इस स्थिति में भाजपा के विकल्प के रूप में आम आदमी पार्टी का विकसित होना प्रजातंत्र के लिये शुभ संकेत हैं।