उज्जैन, अग्निपथ। महाकालेश्वर मंदिर में परंपरा के अनुसार सनातन धर्म के सभी त्यौहारों को हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। फाल्गुन मास में मनाए जाने वाले होली पर्व के लिए भी विशेष तैयारियां की गई हैं। कोरोनाकाल के बाद आए इस अवसर पर सभी भक्तगणों को इस पर्व का इंतजार है।
महाकाल मंदिर के आंगन में गोधूलि बेला में होलिका का दहन किया जाएगा। इससे पहले संध्या आरती में भगवान महाकाल के साथ जमकर होली खेली जाएगी। इस अवसर पर महाकाल के हजारों भक्त रंग और गुलाल में सराबोर नजर आएंगे। कोरोना काल के दो वर्ष के पश्चात इस बार होली पर छूट रहेगी। होली पर्व के लिए महाकाल मंदिर में विशेष तैयारी शुरू कर दी है। विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्?वर मंदिर में इस वर्ष 17 मार्च को देर शाम 7 बजे होलिका दहन किया जाएगा। शुक्रवार को भस्म आरती के पश्चात धुलेंडी का पर्व मनाया जाएगा। मंदिर के पुजारी आशीष गुरु ने बताया कि श्री महाकालेश्वर भगवान की संध्या काल आरती में सबसे पहले बाबा को गुलाल अर्पित किया जाएगा।
आरती के बाद श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर में स्थित ओंकारेश्वर मंदिर के सामने होलिका के पूजन-अर्चन के पश्चात होलिका दहन किया जाएगा। दूसरे दिन धुलेंडी के दिन सुबह होने वाली 4 बजे की भस्म आरती में पहले बाबा श्री महाकालेश्वर को मंदिर से पुजारी- पुरोहितों द्वारा रंग व गुलाल लगाया जाएगा।
दुनिया भर में श्रद्धालु मथुरा वृंदावन की होली देखने जाते हैं। इसके साथ ही शिव भक्त बड़ी संख्या में महाकाल मंदिर में भगवान शिव के साथ होली खेलने उज्जैन आते हैं। 17 मार्च को संध्या कालीन आरती में महाकाल में गुलाल उड़ेगा। इस दौरान महाकाल के साथ पण्डे-पुजारी होली खेलेंगे, तो वहीं भक्त भी होली में रंग लगाकर महाकाल का आशीर्वाद लेंगे। इसके बाद घनश्याम पुजारी महाकाल मंदिर परिसर में होलिका का दहन करेंगे। मान्यता है कि भारत वर्ष में सबसे पहले महाकाल मंदिर में मनाए जाने की परंपरा है।
टेसू के फूलों से महाकाल के साथ होली
परंपरागत रूप से महाकाल मंदिर में होली का पर्व मनाया जाएगा। पंडित आशीष पुजारी ने बताया कि 18 मार्च को अल सुबह भस्म आरती के दौरान भगवान महाकाल के साथ टेसू के फूलों से होली खेली जाएगी। मंदिर में बाबा को गुलाल भी अर्पित किया जाएगा। इसी तरह, रंगपंचमी पर भी भस्मारती में भगवान महाकाल को रंग चढ़ाया जाएगा।