ठोस नियम नहीं बनने से अतिथि विद्वानों का रोजगार खतरे में

जनवरी-फरवरी 2022 का मानदेय बजट भी होली के पूर्व उच्च शिक्षा विभाग ने जारी नहीं किया है

झाबुआ, अग्निपथ। ठोस नियम के अभाव में सरकारी महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों का रोजगार और भविष्य दोनों ही खतरे में दिखाई दे रहा है। एक ओर उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव व उनके विभाग के अधिकारी एमपीपीएससी से कभी 1000 तो कभी 1400 पदों पर भर्ती निकालने की बात बार-बार दोहरा रहे हैं। जबकि अतिथि विद्वान ढाई दशक से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदेश के छात्र छात्राओं को प्रदान कर रहे हैं।

पिछली कमलनाथ सरकार में वर्तमान भाजपा सरकार इनके नियमितीकरण की मांग को पूर्णतया सत्य मान रही थी। परंतु वर्तमान सरकार द्वारा भी इनके लिए अब तक कोई भी उचित कदम नहीं उठाना यानि इनके साथ एक बार फिर छल होना लाजिमी लग रहा है।

सहायक प्राध्यापक भर्ती 2017, ग्रंथपाल और कीड़ा अधिकारी भर्ती 2018 में अनेकों घपलों की गुंजाइश सामने आई थी। कई की नियुक्ति कुछ माह पूर्व ही निरस्त की गई है। साथ ही प्रदेश के बाहर के युवाओं को भारी मात्रा में अवसर दिया गया था। उनके लिए न तो पदों का निर्धारित कोटा था और न ही उम्र का बंधन अन्य राज्यों की तरह रखा गया था। वहीं इनका माह जनवरी – फरवरी 2022 का मानदेय बजट भी होली के त्यौहार के पूर्व उच्च शिक्षा विभाग ने जारी नहीं किया है। जिसके कारण इन्हें इस धार्मिक त्यौहार पर आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ेगा।

मध्यप्रदेश अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के मीडिया प्रभारी शंकरलाल खरवाडिया का इस संबंध में कहना है कि ष्नियमित भर्ती करने से पहले शिवराज सरकार को अतिथि विद्वानों के भविष्य की चिंता करना चाहिए। क्योंकि हमने वर्षों से प्रदेश के ग्रामीण अंचलों के महाविद्यालयों में जाकर सेवाएं दी है।

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