होली, वसन्त, देशभक्ति की रंग रस वर्षित हुए

कालिदास संस्कृत अकादमी द्वारा संस्कृत कविसमवाय का आयोजन

उज्जैन, अग्निपथ। संस्कृत रचनाधर्मिता के संवर्धन के उद्देश्य से अकादमी द्वारा 20 मार्च को होली के पावन पर्व पर संस्कृतकविसमवाय का आयोजन उज्जैन में किया गया। अध्यक्षता पद्मश्री अलंकृत वरिष्ठ विद्वान डॉ. रमाकान्त शुक्ल, नईदिल्ली ने की। मुख्य अतिथि उज्जैन के अपर कलेक्टर अविप्रसाद थे एवं विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ विद्वान डॉ. कामताप्रसाद त्रिपाठी, प्रतापगढ़ थे।

यह जानकारी कार्यक्रम प्रभारी डॉ. संदीप नागर ने प्रेषित कर बताया कि इस अवसर पर आमंत्रित कवियों ने संस्कृत के अनेक छन्दों में वसन्त, होली, राष्ट्रभक्ति, कोरोना तथा महाकवि कालिदास पर केन्द्रित रचनाओं का सुमधुर पाठ किया। सत्र का संचालन डॉ. तुलसीदास परौहा ने किया।
कालिदास संस्कृ

अकादमी के प्रभारी निदेशक, डॉ. सन्तोष पण्ड्या ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि अकादमी संस्कृत रचनाधर्मिता के प्रोत्साहन के लिये कविसमवाय का आयोजन करती हैै। इस अवसर पर डॉ. कामताप्रसाद त्रिपाठी प्रतापगढ़ ने भारतप्रशस्ति:, डॉ. भगवतीलाल राजपुरोहित उज्जैन ने काले वसन्ते डॉ. कौशलेन्द्र पाण्डेय:, वाराणसी ने निर्वाचने दृष्ट:, डॉ. निलिम्प त्रिपाठी, भोपाल ने आगतोयं वसन्त:, डॉ. लक्ष्मीनारायण पाण्डेय, भोपाल ने निर्सगे नवत्वं, डॉ. हर्षदेव माधव अहमदाबाद ने कोरोनागीति:, डॉ. ऋषिराज जानी अहमदाबाद ने बीजाकार्यालये संस्कृतम्, डॉ. पराग जोशी, नागपुर ने वैखरी कालिदास्य, डॉ. वेदव्रत हरिद्वार होलिकागीति:, डॉ. ओमप्रकाश दुबे सीहोर ने भारतवंदना, डॉ. पीयूष त्रिपाठी उज्जैन ने मेघश्यामा इयम्, डॉ. राकेश शास्त्री बांसवाड़ा ने कालिदास प्रशस्ति, डॉ. तुलसीदास परौहा उज्जैन ने होली गीत, डॉ. शिवानन्द मिश्र: ने मामकीनं भारतम् शीर्षक रचनाओं का पाठ किया।

अपर कलेक्टर अविप्रसाद ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत-चीन के सीमा विवाद में कालिदास का साहित्य प्रमाणस्वरूप प्रस्तुत किया गया। काव्य रचना सामायिक विषयों का मधुर चित्रांकन करती है। अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए डॉ. रमाकान्त शुक्ल ने संस्कृत कविता की महत्ता को रेखांकित किया तथा हिन्दू और भारतीय शब्द की व्याख्या प्रस्तुत करते हुए दोनों की एकरूपता प्रतिपादित की।

इस अवसर पर म. पाणिनि संस्कृत विवि के कुलपति डॉ. विजयकुमार मेनन, डॉ. विरूपाक्ष जड्डीपाल, डॉ. सूर्यप्रकाश व्यास, डॉ. भावना व्यास, डॉ. स्वामीनाथ पाण्डेय, डॉ. सदानन्द त्रिपाठी, डॉ. गोपाल शुक्ल, डॉ. महेन्द्र पण्ड्या, पं. विनोद पण्ड्या, डॉ. संकल्प मिश्र, श्री एन.पी. शर्मा सहित अन्य काव्य रसिक उपस्थित थे। अतिथियों का स्वागत डॉ. सन्दीप नागर ने किया।आभार डॉ तुलसीदास परोह ने व्यक्त किया।

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