13 लाख लेकर अवैध निर्माण के पाप धोने की तैयारी

नगर निगम

देवासरोड पर विवादों की मल्टी में अवैध निर्माण पर नियम विरूद्ध हो सकती है कंपाउंडिंग

उज्जैन, अग्निपथ। देवासरोड पर बन रही विवादास्पद बिल्डिंग के मामले में नगर निगम अधिकारियों का नया कारनामा सामने आया है। नगर निगम ने 13 लाख 76 हजार रुपए कंपाउडिंग शुल्क लेकर बिल्डिंग के अवैध हिस्से को वैध करने की तैयारी कर ली है।

अगले एक-दो दिन में बिल्डिंग के अवैध निर्माण पर एनओसी जारी करने की तैयारी है। यह हालत तब है कि खुद नगर निगम कोर्ट में इस बिल्डिंग के अवैध निर्माण को स्वीकार कर चुकी है, लोकायुक्त बिल्डिंग की जमीन के सौदे की जांच कर रही है और सबसे बड़ी बात कि उंचाई और फ्रंट एमओएस पर कपांडिंग शुल्क वसूलने पर खुद राज्यशासन ने रोक लगाई हुई है।

देवासरोड विक्रम विश्वविद्यालय मार्ग के प्लॉट क्रमांक 40 पर आर.एम. विनो स्टेट डेव्लपर्स कंपनी के डायरेक्टर सुशील पिता बसंतीलाल गिरिया(जैन) द्वारा मल्टी का निर्माण किया जा रहा है। 9 मार्च को सुशील गिरिया ने बिल्डिंग में 347.91 वर्गमीटर पर हुए अवैध निर्माण के एवज में 13 लाख 76 हजार 124 रूपए कंपाउंडिंग शुल्क नगर निगम को जमा कराया है। दिसंबर महीने में लोकायुक्त इंदौर ने बिल्डिंग के अवैध निर्माण की जांच के लिए नगर निगम को पत्र लिखा था। जोन क्रमांक 4 में पदस्थ रही भवन निरीक्षक मीनाक्षी शर्मा ने बिल्डिंग में तय परमिशन से ज्यादा हुए निर्माण की जांच की थी।

नगर निगम द्वारा कराई गई जांच की रिपोर्ट और मौके पर पाए गए अवैध निर्माण की जानकारी न केवल लोकायुक्त इंदौर को भेजी गई है जबकि इस मामले से संबंधित कोर्ट में प्रचलित प्रकरण में भी यहीं जानकारी नगर निगम की ओर से प्रस्तुत की गई है।

नगर निगम में ही चर्चा है कि पर्दे के पीछे निगम के ही कुछ अधिकारी अवैध निर्माण के मामले में सुशील गिरिया की मदद कर रहे है और उन्हीं के सुझाए उपाय के बाद नगर निगम में 13 लाख 76 हजार रूपए जमा कर अवैध निर्माण को वैध करने का रास्ता निकाला गया है।

फ्रंट एमओएस पर नहीं हो सकती कंपाउंडिंग

किसी भी बिल्डिंग में सामने की तरफ मर्जिनल ओपन स्पेस(एमओएस) पर यदि किसी तरह का अवैध निर्माण कर लिया जाता है तो उसे शुल्क वसूलकर नगर निगम रेग्युलर नहीं कर सकती है। एमओएस पर किया गया अवैध निर्माण तोडऩा ही होता है। ठीक इसी तरह बिल्डिंग में तय स्वीकृति से ज्यादा उंचाई होने पर भी नगर निगम सीधे निर्माण को वैध नहीं कर सकती है।

इसके लिए ग्राम तथा नगर निवेश(टीएंडसीपी) विभाग की अनुमति जरूरी होती है। देवासरोड़ की विवादित मल्टी में फ्रंट एमओएस पर भी अवैध निर्माण पाया गया है और उंचाई भी तय स्वीकृति से ज्यादा पाई गई है।

नगर निगम के कार्यपालन यंत्री दिलीप दोराया ने इस बात को स्वीकार किया है कि विवादित भवन में अवैध निर्माण की कंपाउंडिंग के लिए नगर निगम के खाते में 13 लाख 76 हजार रुपए जमा कराए गए है।

दोराया ने कहा कि बिल्डिंग निर्माणकर्ता फर्म ने सेल्फ असिसमेंट कर यह रकम जमा की है और कंपाउंडिंग के लिए आग्रह किया है। कार्यपालन यंत्री दिलीप दोराया ने कहा कि मामला लोकायुक्त में है, कोर्ट में भी प्रकरण चल रहा है लिहाजा कंपाउडिंग का आग्रह स्वीकार करना है या नहीं इस पर फिलहाल कोई फैसला नहीं किया गया है।

उज्जैन की विवादास्पद मल्टी, इंदौर में जांच

  • देवासरोड विक्रम विवि मार्ग के प्लॉट क्रमांक 40 की करीब 30 हजार वर्गफिट जमीन को आर.एम. विनो स्टेट डेवलपर्स के डायरेक्टर सुशील गिरिया ने विश्वपाल आदि से खरीदा था।
  • इस प्लॉट के 26 वारिस थे, इनमें से एक सेठीनगर निवासी दिव्या जादौन ने प्लॉट के सौदे और इस पर बिल्डिंग निर्माण के लिए जारी अनुमतियों के संबंध में लोकायुक्त को शिकायत की थी। दिव्या जादौन ने ही कोर्ट में भी केस लगा रखा है।
  • लोकायुक्त मुख्यालय भोपाल को की गई शिकायत की जांच पहले लोकायुक्त उज्जैन को सौंपी गई थी लेकिन दिव्या जादौन द्वारा आपत्ति लिए जाने के बाद लोकायुक्त इंदौर को जांच सौंपी गई।
  • लोकायुक्त इंदौर के पत्र के आधार पर ही नगर निगम ने बिल्डिंग में हुए अवैध निर्माण की जांच कराई थी।

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