पाणिनी संस्कृत वैदिक विश्वविद्यालय का तीसरा दीक्षान्त समारोह आयोजित, राज्यपाल ने बांटी उपाधियां
उज्जैन, अग्निपथ। देवासरोड स्थित महर्षि पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय का शुक्रवार को तीसरा दीक्षांत समारोह राज्यपाल मंगूभाई पटेल की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। दीक्षांत समारोह के दौरान राज्यपाल ने 11 पीएचडी धारकों को उपाधियां और 34 टॉपर विद्यार्थियों को मेडल प्रदान किए। समारोह के मुख्य अतिथि उच्चशिक्षा मंत्री डा. मोहन यादव थे।
विक्रम कीर्ति मंदिर में आयोजित दीक्षांत समारोह में राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने दीक्षान्त उद्बोधन में कहा कि संस्कृत भाषा में भारत की आत्मा बसती है। संस्कृत ज्ञान को प्रचारित प्रसारित करना विश्व के कल्याण की दिशा में एक कदम है उन्होंने कहा कि संस्कृत ज्ञान विज्ञान की भाषा रही है। आर्यभट्ट, वराहमिहीर, सुश्रुत एवं चरक आदि ने अपने मूल्यवान ग्रंथों की रचना देव भाषा संस्कृत में ही की है।
प्रतिवर्ष 21 जून को योग दिवस मनाया जाता है। विश्व में योग आयुर्वेद की लोकप्रियता निरंतर बढ़ रही है उन्होंने कहा कि संस्कृत जैसी प्राचीन भाषा में ज्ञान विज्ञान को संरक्षित करने का दायित्व पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय का है।
राज्यपाल ने कहा कि हमारा देश विश्व को एक कुटुंब मानता है भारत के धर्म ग्रंथ विश्व के धर्म ग्रंथों के मूल में है। संस्कृत के पित्र, मातृ व भ्रात से ही फादर, मदर व ब्रदर शब्द का जन्म हुआ है। राज्यपाल ने कहा कि हमें सभी क्षेत्रों में संस्कृत को लेकर जाना है। राज्यपाल ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय अपने पाठ्यक्रमों व शोध के लिए नवीन केंद्रों की स्थापना करने जा रहा है।
समारोह से पहले राज्यपाल मंगुभाई पटेल, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव, विधायक पारस जैन, केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति श्रीनिवास वरखेड़ी, पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति विजय कुमार सी.जी., कुल सचिव डॉ.दिलीप सोनी, शोभायात्रा के साथ दीक्षान्त समारोह स्थल विक्रम कीर्ति मन्दिर के हॉल में पहुंचे।
एक नजर संस्कृत विवि पर
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उज्जैन का महर्षि पाणिनी संस्कृत विवि मध्य प्रदेश का एकमात्र संस्कृत विश्वविद्यालय है, जिसके कार्यक्षेत्र की सीमा सम्पूर्ण मध्य प्रदेश है।
- विश्वविद्यालय से वर्तमान में 9 शासकीय एवं 11 अशासकीय महाविद्यालय संबद्ध है।
- विश्वविद्यालय के शैक्षणिक विभागों द्वारा उज्जैन की ऐतिहासिक धरोहरों को समझने के लिये हैरिटेज वॉक, वैधशालाओं के दर्शन प्रतिरूप निर्माण एवं प्रदर्शन वेदिक यज्ञ प्रयोग विधि आदि विविध क्रियात्मक एवं रचनात्मक कार्यों को किया जा रहा है।
(कुलपति आचार्य विजय कुमार सी.जी. के अनुसार)