जनता हर साल जल संकट की त्रासदी झेलने को मजबूर
उज्जैन, अग्निपथ। शहर का एकमात्र सबसे बड़ा जल स्त्रोत गंभीर डेम धीरे धीरे शहर वासियों को पूरे वर्ष पानी देने में असफल साबित हो रहा है। क्या कारण है कि प्रतिवर्ष गंभीर डेम लबालब भरने के बाद भी गर्मी के दौरान जलसंकट झेलने की स्थिति बनती है। 30 वर्ष पूर्व गंभीर डेम बनाने के बाद सरकार प्रशासन जनप्रतिनिधियों ने दावा किया था कि उज्जैन वासियों को कभी भी प्यासा नहीं रहना पड़ेगा।
आइए हम नजर डालते हैं गंभीर डेम की स्थिति पर वर्ष 1991 -92 गंभीर डेम बनाए जाने पर इसकी क्षमता को लेकर दावा किया गया था कि डैम पूरा भरने के बाद इसमें 2250 एमसीएफटी जल संग्रह किया जाएगा। 30 वर्ष बाद भी इसकी क्षमता 2250 ही बताई जा रही है यह सरकारी आंकड़ों की जादूगरी है
यदि हम शहर की पेयजल स्थिति की बात करें तो पूरे शहर को 1 दिन में लगभग 4 एमसीएफटी पानी दिया जाता है। इसके अनुसार गंभीर डेम में भरा 2250 एमसीएफटी पानी लगभग 562 दिन के लिए पर्याप्त होता है। क्षमता के अनुसार यह पानी शहर वासियों को 18 से 20 माह दिया जाना चाहिए। यदि पीएचई के अनुसार अप्रैल मई-जून में वाष्पीकरण से पानी कम होता है तब भी 500 दिन शहर को पानी दिए जाने से इनकार नहीं किया जा सकता, जबकि कई बार गर्मी के मौसम में पानी के वाष्पीकरण रोकने हेतु लाखों रुपए का केमिकल गंभीर में डाला जाता है फिर क्यों शहरवासी गर्मियों में पेयजल संकट का सामना करते हैं ….?
आम तौर पर देखा गया है कि बारिश के दौरान गंभीर डेम के गेट कई बार खोलकर लाखों गैलन पानी बहाया जाता है। इसके बाद भी गंभीर पूरे शहर की प्यास पूरे वर्ष गंभीर होकर क्यों नहीं बुझा पा रहा है ..? यह यक्ष प्रश्न नेताओं अधिकारियों के मन में भले ही ना आता हो किंतु शहर के नागरिक आज भी इस यक्ष प्रश्न का उत्तर सुनने को बेकरार हैं….
गंभीर के गहरीकरण की ओर ध्यान देना भी जरूरी
शहर की सभी सामाजिक-राजनीतिक संस्थाएं प्रतिवर्ष शिप्रा शुद्धिकरण और गहरीकरण को लेकर गंभीर एवं चिंता में रहती हैं। कई बार शिप्रा का गहरीकरण और शुद्धिकरण किया भी गया किंतु क्या कारण है कि गंभीर के गहरीकरण और शुद्धिकरण को लेकर शासन-प्रशासन एवं सभी संस्थाएं आज भी गंभीर नहीं है ? शहर की एक सामाजिक संस्था सॉलीसीटस सोशल सोसायटी ने गंभीर होकर गंभीर डेम के साथ साहिब खेड़ी डैम एवं उंडासा तालाब के गहरीकरण की मांग करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, कलेक्टर आशीष सिंह एवं निगमायुक्त को एक पत्र लिखा है। साथ ही शहर की अन्य जागरूक सामाजिक संस्थाओं से भी आग्रह किया है कि वह इस दिशा में पहल करते हुए शहर वासियों को गंभीर पेयजल संकट की त्रासदी से मुक्त कराएं।
क्या गंभीर की क्षमता आज भी 2250 एमसीएफटी है?
आज से लगभग 30 वर्ष पूर्व गंभीर की पेयजल क्षमता निश्चित रूप से 2250 एमसीएफटी होगी किंतु क्या आज की स्थिति में जमा पानी की क्षमता 2250 बताया जाना वास्तविकता से कोसों दूर है। प्रतिवर्ष वर्षा के दौरान नदियों में बाढ़ आने के कारण उसमें वहकर आने वाली मिट्टी रेती आदि जमा होने से उसका गहरीकरण निश्चित रूप से प्राकृतिक कारणों से कम होता है। इससे कोई भी इनकार नहीं कर सकता। गंभीर डेम को बने लगभग 30 साल में कई बार बाढ़ एवं पानी रोकने के कारण उसमें जमा रेत मिट्टी आदि से उस का जलस्तर लगभग कई मीटर कम हुआ है। इन 30 वर्षों में गंभीर डेम का कितनी बार गहरीकरण किया गया इसका कोई रिकॉर्ड पीएचई के पास मौजूद नहीं है यही कारण है कि 2250 एमसीएफटी पानी की क्षमता वाला गंभीर डेम प्रतिवर्ष गर्मियों में अपना कंठ सूखने के कारण शहरवासियों की प्यास नहीं बुझा पा रहा है