24 खंबा माता को लगाया मदिरा का भोग, मदिरा की हांडी लेकर 40 से अधिक देवी और भैरव मंदिरों में की पूजा-अर्चना
उज्जैन, अग्निपथ। चैत्र नवरात्रि की महाअष्टमी पर शनिवार को निरंजनी अखाड़े की ओर से नगर पूजा की गई। 2 वर्ष के अंतराल के बाद चौबीस खंभा माता मंदिर से प्रारंभ नगर पूजा में 40 से अधिक देवी भैरव मंदिरों में मदिरा की धार चढ़ाई गई। समापन अंकपात स्थित हांडी फोड़ भैरव पर हुआ।
शनिवार सुबह 8 बजे चौबीस खंबा माता मंदिर पर अभा अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं निरंजनी अखाड़े के श्रीमहंत रवींद्रपुरी महाराज ने माता महालया और माता महामाया को मदिरा का भोग लगाकर नगर पूजा की शुरुआत की। इस दौरान बड़ी संख्या में साधु-संत और श्रद्धालु भी मौजूद थे। चौबीस खंबा मंदिर पर पूजन के बाद 27 किलोमीटर की पदयात्रा करते हुए 40 मंदिरों में पूजा की गई।
इस दौरान नगर के देवी, भैरव और हनुमान मंदिरों में पूजा के साथ भोग लगाया। रात 8 बजे अंकपात स्थित हांडीफोड़ भैरव मंदिर पर पूजा का समापन हुआ। इधर घरों में भी महाअष्टमी पर कुलदेवी का पूजन किया गया।
इसलिए होती है नगर पूजा
मान्यता है कि सम्राट विक्रमादित्य ने नगर को आपदाओं से बचाने के लिए शारदीय नवरात्रि की महाअष्टमी को नगर पूजा की शुरुआत की थी। सिंहस्थ में चैत्र नवरात्रि की अष्टमी को नगर पूजा होती है। लेकिन वर्ष 2017 से निरंजनी अखाड़े द्वारा चैत्र नवरात्रि में नगर पूजा शुरू की। तब से ही आयोजन प्रतिवर्ष किया जा रहा है। हालांकि कोरोना संक्रमण के कारण दो वर्ष पूजा नहीं हो पाई थी।
अभा अखाड़ा परिषद अध्यक्ष हैं रवीन्द्रपुरी महाराज
कुछ माह पूर्व प्रख्यात निरंजनी अखाड़े के श्रीमहंत और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष नरेन्द्रगिरी महाराज ने हरिद्वार स्थित आश्रम में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। लेकिन मौत संदिग्ध होने और उनके शिष्य के द्वारा प्रताडि़त करने की घटना को देखते हुए जांच एजेंसियों ने घटना के साक्ष्य और सबूतों के आधार पर इसको हत्या करार देते हुए मामला न्यायालय में पेश किया था। जहां से उनको आरोपित मानते हुए जेल भेज दिया गया। इसके बाद अखाड़ा परिषद के चुनाव तो नहीं हुए लेकिन साधु संतों की बैठक में महंत रवीन्द्रपुरी महाराज को अध्यक्ष चुन लिया गया था।