मलाईदार पदों पर आज भी पूर्व में हमेशा से पदस्थ होते आ रहे कर्मचारी काबिज
उज्जैन, अग्निपथ। महाकालेश्वर मंदिर में लगता है कि रोटेशन नहीं करने की मंदिर प्रशासन ने ठान ली है। तभी तो आज भी वहीं रसूखदार कर्मचारी उन मलाईदार पदों पर विराजित हैं, जिन पर दूसरों का हक होना चाहिए। रोटेशन सही तरह से करने को लेकर समाचार प्रकाशित हो चुके हैं। लेकिन मंदिर प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है। लगता है कि सभी पुराने रंग में रंग चुके हैं।
कई वर्षोँ से ऐसे कर्मचारी परेशान हो रहे हैं जिनमें काम करने की तो क्षमता है। लेकिन उनको रिलीवर अथवा दूसरे अन्य कामों में जुटा कर रखा गया है। मंदिर प्रशासन की इस दिशा में निष्क्रियता ही मान सकते हैं कि जानकारी होने के बावजूद वो इस दिशा में महत्वपूर्ण निर्णय नहीं ले पा रहा है।
रसूखधारी कर्मचारी नीचे से लेकर उपर तक उन महत्वपूर्ण जगहों पर वर्षों से पदस्थ हैं। कभी कभार उनको रोटेशन होता भी है तो कुछ दिन बाद उनको उसी मलाईदार जगह पर पदस्थ कर दिया जाता है।
मंदिर प्रशासन पर दबाव का असर तो नहीं
मंदिर प्रशासन पर राजनीतिक दबाव भी रहता है। सभी को लेकर काम करना पड़ता है। किसी की इच्छा के विरुद्ध जाओ तो दबाव आ जाता है। मंदिर के रसूखधारी कर्मचारियों के राजनीतिक पकड़ भी है। कई कर्मचारी ऐसे हैं, जिनको नौकरी राजनीति में पकड़ के चलते मिली है।
ऐसे में मंदिर प्रशासन यदि रसूखधारी कर्मचारियों का रोटेशन करता है तो फौरना फोन की घंटी बज जाती है। ऐसे में सभी का ध्यान रखते हुए ऐसे कर्मचारियों का रोटेशन नहीं किया जा रहा है, जोकि वर्षों से एक ही जगह पर पदस्थ हैं।
कार्य विवरण फार्म पर सस्पेंस
मंदिर प्रशासन ने सभी मंदिर कर्मचारियों सहित प्रभारियों से कार्य विवरण फार्म भरवाया था। इसमें स्थानांतरित होने के लिए तीन स्थानों का चयन करने को कहा गया था। सभी ने फार्म भरकर जमा कर दिए थे। इस बात को लगभग 2 माह का समय होने को आया है, लेकिन इसको देखकर अमल नहीं किया जा रहा है।