स्त्री के गुण अपनाकर ही भगवान बना जा सकता है

श्री महावीर जन्म कल्याणक महोत्सव में हुआ विशाल महिला सम्मेलन

उज्जैन, अग्निपथ। धरती पर जब भी अवतार पैदा हुए हैं तो उन्हें जन्म देने वाली एक स्त्री ही होती है। यहां सदन में उपस्थित मातृशक्ति में मुझे भगवानों की माताएं दिख रही हैं और इस मातृशक्ति को मैं नमन करता हूं, इतिहास गवाह है, जब जब क्रांति हुई है, उसकी शुरूआत महिलाओं ने ही की है।

यह उद्गार विश्वरत्नसागर सूरिश्वरजी मसा ने महावीर जन्म कल्याणक महोत्सव समिति द्वारा आयोजित विशाल महिला सम्मेलन में व्यक्त किये। 13 अप्रैल को क्षत्रियकुंड नगर कार्तिक मेला ग्राउंड में आयोजित विशाल महिला सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री अभा श्वेतांबर जैन महिला संघ इंदौर अध्यक्ष रेखा जैन ने कहा कि भगवान महावीर का प्रमुख संदेश अहिंसा है।

आज यूक्रेन युध्द के समय भगवान महावीर का संदेश और भी प्रासंगिक है। स्त्री के गुण ममता, दया, करूणा हैं और नारी के यही गुण भगवानों में पाए जाते हैं। भगवान महावीर की अहिंसा अति सूक्ष्म थी। 9 वर्ष के बालक महावीर खेलकर आते हैं वे अपनी माता त्रिशला से पूछते हैं कि आप क्या कर रही हैं। मां ने कहा कि श्रृंगार कर रही हूं, मैं कैसी लग रही। इस पर महावीर ने कहा बगीचे के फूलों की हत्या कर श्रृंगार अच्छा नहीं है, आप उनकी सुंदरता को देखें और वे आपकी सुंदरता को देखें। हर चीज अपनी जगह ही सुंदर दिखती है।

हमारे जैन धर्म के सिध्दांतों के कारण ही आज जैन भोजन पूरे विश्व में प्रसिध्द है। सम्मेलन के प्रारंभ में वर्धमान स्थानकवासी बहुमंडल की सीमा दुग्गड़, हेमा दलाल, नीता जैन, सुनीता पोखरना, मधु जैन, शीतल जैन ने मंगलाचरण किया।
संभवनाथ महिला मंडल की प्रमिला रूणवाल, इंदु सकलेचा ने स्वागत गीत गाया। स्वागत भाषण महिला संयोजक श्रीमती प्रफुल्ल गादिया ने दिया। अभा केंद्रीय श्वेतांबर जैन महिला संघ अध्यक्ष निशा संचेती ने कहा भगवान महावीर के अहिंसा के सिध्दांतों के बिना विश्व में शांति असंभव है।

दिगंबर जैन महासमिति इंदौर की उपाध्यक्ष ममता बडज़ात्या ने कहा हम अपने बच्चों में कैसे धर्म और संस्कार विकसित करें यह एक गंभीर समस्या है। आज हम अपने बच्चों को अच्छे संस्कार नहीं देंगे तो हमारे परिवारों की नस्लें समाप्त हो जाती है। माता ही बच्चों को सर्वश्रेष्ठ संस्कार दे सकती है। बच्चे गीली मिट्टी हैं, उनमें जैसे संस्कार डालेंगे वैसे ही स्वरूप ले लेंगे। हमें शिक्षा के साथ संस्कार भी विकसित करने होंगे।

सीमा दुग्गड़, अंजू मनोज सुराणा द्वारा प्रश्नों के उत्तर देने वाली महिलाओं को सम्मानित किया। इस अवसर पर संयोजक डॉ. संजीव जैन, संजय जैन खलीवाला, सहसंयोजक वरूण श्रीमाल, रजत मेहता, सुशील जैन, शैलबाला श्रीमाल, सहसंयोजक आशा पालरेचा, निर्मला कांठेड़, संगीता गादिया, श्वेता भंडारी, परिधि दाता, श्वेता चोपड़ा, सारिका मारू मौजूद रहीं। संचालन वीरबाला कासलीवाल ने किया एवं आभार सरिता रत्नबोहरा ने माना।

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