मस्जिदों के लाउडस्पीकर चालू तो महाकाल के बंद क्यों? – डॉ. अवधेशपुरी महाराज

उज्जैन, अग्निपथ। बड़े आश्चर्य की बात है कि मस्जिदों की ऊंची ऊंची मीनारों से आठ – आठ लाउडस्पीकर लगाकर तेज आवाज में दिन में 5 बार 365 दिन अजान की आवाज आती है। जिसके परिणाम स्वरूप लाखों विद्यार्थियों की पढ़ाई डिस्टर्ब होती है।

हजारों हार्ट के पेशेंट्स परेशान होते हैं तथा कई मरीज तो अपने प्राण भी त्याग देते हैं। इतना ही नहीं उस क्षेत्र के रहवासी भी तेज ध्वनि से परेशान होते हैं । समझ से परे है कि ध्वनि प्रदूषण का यह खेल आखिर क्यों चल रहा है? घोर आश्चर्य है कि विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर के शिखर के ऊपर चलने वाली तुरई या लाउडस्पीकर विगत कई वर्षों से बंद पड़े हैं, जिसके परिणाम स्वरूप महाकाल मंदिर के नजदीक जाने पर भी अजान की आवाज तो आती है लेकिन महाकाल की भस्मआरती की नहीं।

अत: महाकाल मंदिर के विकास पर हजारों करोड़ रुपए खर्च करने वाले प्रशासन को चाहिए कि हिंदुओं के साथ इस प्रकार का भेदभाव न करते हुए समानता का व्यवहार करे। हिंदुओं की धार्मिक स्वतंत्रता के साथ यह भेदभाव अशोभनीय है। या तो मस्जिदों के लाउडस्पीकर भी बंद कर देने चाहिएं अन्यथा महाकाल के ऊपर लगने वाले लाउडस्पीकर भी चालू करने चाहिएं जिससे कि दूर दूर से आए हुए भक्तगण बाहर से ही भस्म आरती एवं अन्य आरती का आनंद ले सकें ।

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