5100 दान देकर नंदी हॉल, 1100 रु. में गणपति मंडपम में भस्मारती दर्शन के लिए प्रवेश
उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर में दान देकर भस्म आरती में प्रवेश की नई व्यवस्था शुरू की गई है। जोकि पीछे के दरवाजे से है। इसमें दानदाताओं की भस्मारती अनुमति बनाकर उनको गणपति मंडपम और नंदीहॉल में प्रवेश दिया जा रहा है। मंदिर के सहायक प्रशासनिक अधिकारी द्वारा दिए गए इस नुस्खे को लागू कर दिया गया है। प्रतिदिन 15 से 20 श्रद्धालुओं की भस्मारती अनुमति इसी तरह से बनाई जा रही है।
श्री महाकालेश्वर मंदिर में मंदिर प्रशासन द्वारा आय बढ़ाने के लिए नित नए उपाय किए जा रहे हैं। कुछ माह पूर्व 1500 रुपए की अभिषेक रसीद कटवा कर गर्भगृह में वीआईपी प्रवेश व्यवस्था शुरू की गई थी।
जिसका प्रवेश समय निर्धारित किया गया था। लेकिन मंदिर प्रशासन ने आय बढ़ाने के चक्कर में हाल ही में अवकाश के दिनों में उमड़े श्रद्धालुओं को आम श्रद्धालुओं के लिए नियत किए गए समय अवधि दोपहर 1 से 4 के बीच में भी 1500 रुपए टिकट धारियों को प्रवेश दिया जा कर आर्थिक लाभ के द्वार खोल दिये।
जबकि इस अवधि के दौरान भीड़ बढऩे पर 1 से 4 के बीच या तो आम श्रद्धालुओं को प्रवेश दिए जाते अथवा इस दौरान सभी के लिए प्रवेश प्रतिबंधित किया जाना था। यह समयावधि कलेक्टर आशीषसिंह द्वारा निर्धारित की गई थी।
दान देकर पाओ भस्मारती अनुमति
मंदिर प्रशासन द्वारा आम श्रद्धालुओं को ऑनलाइन और ऑफलाइन व्यवस्था के तहत भस्मारती अनुमति दी जा रही है। जिसमें व्यक्ति को 200 रु. प्रति व्यक्ति के हिसाब से शुल्क चुका कर अनुमति दी जाती है। लेकिन कई श्रद्धालुओं की बुकिंग नहीं हो पाती और वह भगवान के दर्शन को मंदिर पहुंच जाते हैं।
भस्म आरती का क्रेज होने के कारण श्रद्धालु भस्म आरती करवाने के लिए हाथ पैर मारता है। अब एक सहायक प्रशासनिक अधिकारी के दान के फार्मूले को लागू कर प्रशासनिक भवन स्थित पंडे पुजारियों के काउंटर से 1100 रुपए का दान देकर भस्मारती अनुमति बनाई जा रही है।
हाल ही में एक मामला और सामने आया जिसमें वीडियो शूटिंग के नाम से कैश काउंटर से व्यक्ति की 5100 रुपए की दान रसीद कटवा दी गई और उसको नंदीहाल में बैठा कर भस्म आरती देखने की अनुमति प्रदान कर दी गई।
मंदिर प्रबंध समिति के पटल पर रायशुमारी आवश्यक
मामले को लेकर प्रबुद्ध जनों की राय है कि मंदिर प्रशासन द्वारा 1500 रुपए रसीद कटवा कर गर्भगृह में प्रवेश की व्यवस्था को तो शुरू किया गया है, लेकिन मंदिर प्रबंध समिति से इसका अनुमोदन नहीं लिया गया। इसी तरह से 1100 और 5100 रुपए दान देकर भस्मारती अनुमति लेने की जो व्यवस्था शुरू की गई है। उसको भी मंदिर प्रबंध समिति की बैठक में रखकर बकायदा इसका अनुमोदन लेना चाहिए।