निगम अधिकारी बेकार, कारों में घूमने वाले टू-व्हीलर पर आए

नगर निगम

डेढ़ करोड़ रुपए का भुगतान अटका, ठेकेदार ने वापस बुला ली गाडिय़ां

उज्जैन, अग्निपथ। नगर निगम के सारे ही बड़े अधिकारी मंगलवार को एकाएक पैदल हो गए है। नगर निगम अधिकारियों को वाहन उपलब्ध कराने वाली एजेंसी ने अपने सारे ही वाहन एकाएक वापस बुला लिए।

लंबे वक्त से नगर निगम द्वारा भुगतान नहीं किए जाने की वजह से ऐसा हुआ है। एजेंसी ने जैसे ही अपने वाहन वापस बुलाए, हमेशा कार में सवार होकर घूमने वाले कुछ अधिकारी तो टू-व्हीलर पर आ गए, कुछ ने अपनी निजी कारों की सवारी की।

नगर निगम में आवश्यकता से अधिक चौपहिया वाहन अटैच है। जिन अधिकारियों का मूल पद टाईम कीपर है, जो प्रभारी उपयंत्री है वे भी नगर निगम में अटैच चौपहिया वाहनों की सवारी कर रहे थे। निगम में 22 टैक्सी गाडिय़ा चल रही थी। वाहन अटैच करने वाली एजेंसी विनायक टूर एंड ट्रेवल्स का करीब 1.50 करोड़ रूपए बकाया चल रहा है।

पिछले दिनों ट्रेवल्स संचालक रिंकू राठौर ने आयुक्त अंशुल गुप्ता से कम से कम 5 बार मुलाकात की, ट्रेवल्स संचालक से मुलाकात में आयुक्त ने भुगतान से हाथ खड़े कर दिए। साफ कहा- अभी भुगतान नहीं हो सकता। आयुक्त के दो टूक जवाब के बाद विनायक ट्रेवल्स के संचालक रिंकू राठौर ने मंगलवार दोपहर अपने सभी ड्राइवरों को फोन कर नगर निगम मे अटैच सारी गाडिय़ा वापस बुलवा ली।

नगर निगम के दो बड़े अधिकारी को प्रशासनिक अधिकारी तो पंचक्रोशी यात्रा की तैयारी के चक्कर में अंबोदिया गांव में थे। वहीं इनके ड्राइवरों को गाड़ी वापस लाने का फोन पहुंचा। ड्राइवरों ने अपने साहब को बताया, गाड़ी उज्जैन लाए। अधिकारियों को नगर निगम में छोड़ा और इसके बाद ड्राइवर गाड़ी लेकर रवाना हो गए।

पुरानी है भुगतान की बीमारी

  • नगर निगम ने पिछले साल सालासर बालाजी ट्रेवल्स के संचालक अंकित शर्मा के साथ टैक्सी वाहन उपलब्ध कराने का अनुबंध किया था। लगभग 10 महीने सालासर ट्रेवल्स की गाडिय़ा नगर निगम में चलती रही।
  • लंबे समय तक भुगतान नहीं हो पाने की वजह से फरवरी महीने में ट्रेवल्स संचालक ने अपनी सभी गाडिय़ा वापस बुलवा ली। कारो में घूमने वाले सारे अधिकारी पैदल हो गए तो ताबड़तोड़ टेंडर में दूसरे क्रम पर रही विनायक ट्रेवल्स फर्म की सेवाएं ली गई।
  • विनायक ट्रेवल्स ने सालासर ट्रेवल्स वाले रेट में ही नगर निगम को 22 गाडिय़ा उपलब्ध कराई। दो महीनों में करीब 20 लाख रूपए का बिल बना लेकिन एक रूपए का भी भुगतान नहीं हुआ।
  • इसी विनायक ट्रेवल्स का 2020-21 का भी करीब 1 करोड़ 25 लाख रूपए का भुगतान पहले से उलझा पड़ा है।
  • पुराना भुगतान निकला नहीं, नया 20 लाख अलग से चढ़ गया। ट्रेवल्स ने जिन वाहन मालिकों से वाहन लेकर नगर निगम में अटैच किए थे वे भी ट्रेवल्स संचालक के गले होने लगे थे। यही वजह रही कि मंगलवार को ट्रेवल संचालक को एकाएक सारी गाडिय़ा वापस बुलवाना पड़ी।

करना था नया टेंडर पुराने को आगे बढ़ाते चले

नगर निगम में मार्च महीने में टैक्सी वाहनों को अटैच करने का नया टेंडर किया जाना था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फरवरी में पुराने रेट पर ही जिस विनायक ट्रेवल्स को वाहन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी दी गई थी, उसे ही निरंतर रखा गया। विनायक ट्रेवल्स ने नगर निगम में 6 बोलेरो, 1 स्कार्पियों, 9 स्विफ्ट डिजायर, 1 मराजो, 2 इनोवा विस्टा सहित 22 गाडिय़ा उपलब्ध करा रखी थी।

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