आक्रोशित लोगों ने शव के साथ दिया धरना
जावरा, अग्निपथ। ग्राम मुंडला के 6 वर्षीय एक मासूम की रिंगनोंद में झोलाछाप बंगाली डॉक्टर के इलाज से मौत होने के बाद शनिवार को बवाल हुआ। सैंकडों ग्रामीणजन मासूम के शव को लेकर डॉक्टर के क्लीनिक के बाहर सडक़ पर धरना देकर बैठ गए। आक्रोशित लोग आर्थिक सहायता व क्लीनिक तोडऩे की मांग करने लगे। डॉक्टर को गिरफ्तार करने के पुलिस के आश्वासन के बाद मामला शांत हुआ।
रिंगनोद में शुक्रवार रात बंगाली डॉक्टर तपन विश्वास ने 6 वर्ष के अरिहंत उर्फ आर्यन गुर्जर को इजेक्शन लगाया उसके तुरंत बाद बच्चे की मौत हो गई थी। माता-पिता ने लापरवाहीपूर्वक इलाज का आरोप लगाया था। मामले में रात को ही मुंडला के ग्रामीण क्लीनिक का घेराव करने पहुंच गए थे लेकिन पुलिस ने मामला शांत करवा दिया था।
शनिवार को ग्रामीण मासूम का शव लेकर बंगाली डॉक्टर के क्लीनिक के बाहर रोड पर धरने पर बैठे रहे। ग्रामीण कह रहे थे कि क्लीनिक तोड़ा जाए तथा कानूनी कार्रवाई कर आर्थिक सहायता दी जाए, तभी शव हटाएंगे। करीब दो घंटे तक बवाल चलता रहा। तहसीलदार मृगेंद्र सिसौदिया, एसडीओपी रविंद्र बिलवाल ने ग्रामीणों को उचित आश्वासन देकर शव का अंतिम संस्कार करने के लिए रवाना किया। दोपहर को बच्चे का अंतिम संस्कार हुआ है।
ग्रामीणों ने तहसीलदार सिसौदिया को ज्ञापन भी सौंपा। इसमें आर्थिक सहायता व क्लीनिक तोडऩे की मांग हैं। तहसीलदार सिसोदिया ने बताया 5 हजार की तत्काल सहायता दी हैं बाकी कलेक्टर सर के यहां प्रकरण प्रेषित करेंगे। क्लीनिक तोडऩे के लिए नियमानुसार जांच कर निर्णय लिया जाएगा।
दो बार पहले भी लापरवाही के आरोप
ग्रामीणों ने तहसीलदार को बताया 2 बार पहले भी इस डॉक्टर ने लापरवाही की लेकिन हमने मानवीयता के नाते शिकायत नहीं की लेकिन अब ऐसा नहीं चलेगा। डॉक्टर का क्लीनिक तोडक़र ही मानेंगे।
स्वास्थ्य विभाग कठघरे में
मामले में स्वास्थ्य विभाग कठघरे में हैं लेकिन बीएमओ डॉ दीपक पालडिया कुछ भी कहने से बच रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि झोलाझाप डॉक्टरों से हर माह मोटी रकम स्वास्थ्य अधिकारियों तक पहुंचती है। और फिर झोलाछाप बेखौफ होकर इलाज करते हैं।
झोलाछापों के खिलाफ बने हैं सख्त कानून
झोलाछापों के खिलाफ सख्त नियम कानून हैं। यदि कोई अप्रशिक्षित और अप्राधिकृत व्यक्ति किसी मरीज का इलाज करे तो उसके खिलाफ धोखाधड़ी की धारा 419, 420 के अलावा इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट की धारा 15(3) के तहत कड़े दंड का प्रावधान है। इस एक्ट में दो साल तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा यदि उसकी डिग्री फर्जी हैं तो उसके खिलाफ धारा 468, 471 के तहत भी कार्रवाई का प्रावधान है।
कलेक्टर से झोला छाप पर कार्रवाई करने की है
स्वास्थ्य विभाग इन झोलाछापों के खिलाफ सख्त कदम नहीं उठाता। शासन के आदेश हैं कि समय-समय पर निरीक्षण कर यह देखा जाए कि कोई झोलाछाप प्रेक्टिस तो नहीं कर रहा लेकिन यहां कार्रवाई अपनी जेब गर्म करने तक सीमित रहती है। अब देखने वाली बात होगी कब तक इन झोला छाप डॉक्टरों पर कलेक्टर कार्रवाई करवाते हैं।