लोगों की जमा राशि नहीं लौटाने पर हुई कार्रवाई
शाजापुर, अग्निपथ। रुपया दोगुना करने के नाम पर लाखों रुपए जमा कराकर लोगों को बेसहारा करने वाली सहारा इंडिया कंपनी के खिलाफ जिला प्रशासन द्वारा बड़ी कार्रवाई करते हुए कंपनी कार्यालय को सील कर दिया गया है। बार-बार निर्देशित करने के बाद भी खाताधारकों को रुपया नही लौटाए जाने पर कलेक्टर के आदेश पर पटवारियों के दल ने कार्यालय को सील करने की कार्रवाई की।
उल्लेखनीय है कि सहारा इंडिया कंपनी ने जिलेभर के कई लोगों से लाखों रुपए राशि दोगुना कराने के नाम पर जमा कराए थे, लेकिन जब खाताधारकों की पॉलिसी के भुगतान का समय आया तो सहारा इंडिया ने फंड नही होने का बहाना बनाते हुए राशि देने से इनकार कर दिया। सहारा इंडिया कंपनी द्वारा पालिसी की मेच्युरिटी पूरी होने के सालों बाद भी खाताधारकों को उनकी राशि का भुगतान नही किया गया है, जिसकी खाताधारकों के द्वारा लगातार जिला प्रशासन से शिकायत की जा रही है।
कलेक्टर दिनेश जैन ने खाता धारकों की समस्या को ध्यान में रखते हुए कई बार कंपनी के जिम्मेदार अधिकारियों को राशि का भुगतान करने हेतु निर्देशित किया, लेकिन सहारा इंडिया के जिम्मेदारों ने कलेक्टर के निर्देश को गंभीरता से नही लिया और खाताधारक अपने ही रुपयों के लिए परेशान होते रहे। निर्देशों का पालन नही करते हुए खाताधारकों की राशि का भुगतान नही करने पर कलेक्टर ने शाजापुर और शुजालपुर तहसीलदार को आदेशित किया कि वे शुजालपुर और शाजापुर के सहारा इंडिया कार्यालय को सील करें।
कलेक्टर के इस आदेश के परिपालन में शनिवार को पटवारियों का दल शाजापुर स्थित सहारा इंडिया कार्यालय पहुंचा और उसे सील कर दिया।
सैकड़ों लोगों को उलझा लाखों रुपया
गौरतलब है कि प्रतिदिन एवं मासिक किश्त के माध्यम से सहारा इंडिया के द्वारा जिलेभर के सैकड़ों लोगों से कंपनी में लाखों रुपए जमा कराए गए, लेकिन जब उक्त राशि को नियमानुसार लौटाने की बारी आई तो कंपनी के जिम्मेदारों ने फंड नही होने का बहाना बनाते हुए खाताधारकों को रुपया देने से इनकार कर दिया। पॉलिसी की मियाद पूरी होने के सालों बाद भी उपभोक्ताओं को कंपनी ने राशि का भुगतान नहीं किया है।
इससे आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। परेशान खाताधारकों ने न्याय के लिए जिला प्रशासन से गुहार लगाई। प्रशासन ने शिकायत के निराकरण के लिए सहारा इंडिया कंपनी के उज्जैन रीजनल मैनेजर, शाजापुर, शुजालपुर के शाखा प्रबंधकों को खाताधारकों की राशि भुगतान के निर्देश दिए, लेकिन जिम्मेदारों ने कलेक्टर के निर्देश को हवा में उड़ा दिया, जिसके बाद कलेक्टर ने कंपनी कार्यालय को सील करने का आदेश जारी किया।