महाकाल मंदिर सौन्दर्यीकरण की जिस भी अधिकारी या जनप्रतिनिधि ने परिकल्पना की है सबसे पहले उसे मैं दिल से सेल्यूट करता हूँ। यह धुव्र सत्य है कि बिना विनाश के विकास संभव नहीं है। महाकाल मंदिर परिसर विकास के जो कार्य वर्तमान में प्रचलित हैं जिस दिन कल्पना किया गया सपना जमीन पर पूरी तरह से आकार लेगा उस दिन उज्जैनवासियों को एक नया उज्जैन देखने को मिलेगा।
आज भले ही जिन लोगों के निजी हित जुड़े हुए हैं उन्हें तकलीफ हो रही होगी क्योंकि तकलीफ के पीछे उनकी रोजी-रोटी, व्यवसाय जुड़ा हुआ है इस कारण तकलीफ होना स्वाभाविक है। परंतु शहर की 99.9 प्रतिशत जनता प्रशासन द्वारा किये जा रहे विकास कार्यों से पूरी तरह संतुष्ट है।
स्मार्ट सिटी योजनान्तर्गत लगभग 300 करोड़ की लागत से मंदिर के आसपास विकास कार्य किये जाने हैं। शहर की सडक़ें, नालियां, लाइटें, चौराहों का सौन्दर्यीकरण यह सब तो रूटिन कार्य है जो अनवरत अनादि काल तक चलता ही रहेगा परंतु मंदिर के आसपास का विकास एवं सौन्दर्यीकरण के साथ ही साथ बाबा महाकाल के दर्शनों के लिये देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिये दी जाने वाली सुविधाओं में इजाफा इस शहर के लिये मील का पत्थर साबित होगा।
रोजगारविहीन इस शहर के पालनहार, अन्नदाता, हजारों परिवारों को रोजगार देने वाले भूतभावन, मृत्युलोक के राजा बाबा महाकाल की सुंदरता में यदि चार चाँद लग रहे हो तो इसमें उज्जैन के किसी भी नागरिक को आपत्ति नहीं होना चाहिये। देश के उच्चतम न्यायालय ने भी इस पर संज्ञान लेते हुए 500 मीटर के दायरे को अतिक्रमण मुक्त करने के लिये शासन-प्रशासन को हरि झंडी दे दी है।
इस गौरवशाली एवं पुरातन शहर का दुर्भाग्य है कि वह शहर को रोजी-रोटी, व्यापार-व्यवसाय देने वाले देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर मंदिर की ही सुध नहीं ले पाया। अनेक बार योजनाएँ बनी परंतु उनको अमली जामा नहीं पहनाया जा सका। इस बार ऐसा लग रहा है कि सारे योग अनुकूल होने के कारण मंदिर परिसर का विकास होना तय है।
चेतना शून्य राजनैतिक प्रतिनिधित्व वर्षों से इस शहर को रोजगार, धंधा, उद्योग नहीं दिला सका है। शायद वर्षों पूर्व मध्यप्रदेश शासन के पूर्व उद्योग मंत्री स्वर्गीय डॉ. राजेन्द्र जैन जी के प्रयासों से नागझिरी में उस समय का एशिया का सबसे बड़ा सोयाबीन प्लांट स्थापित हुआ था जो काम-धंधों के लिहाज से दुर्भाग्यशाली उज्जैन के लिये अंतिम साबित हुआ। उसके बाद तो लगातार उद्योग-धंधे बंद होते चले गये।
नेताओं ने भी खूब लॉलीपाप इस शहर के निवासियों को दिखाये, कभी बांदका औद्योगिक क्षेत्र के नाम से तो कभी काँच के कारखाने के नाम से। कभी काँग्रेस ने तो कभी भाजपा ने। इस शहर के तमाम वर्तमान और पूर्व जनप्रतिनिधियों से कभी पूछकर तो देखिये उन्होंने इस शहर को रोजगार के नाम पर दिया क्या है? शायद यही गिनायेंगे कि स्कूल भवन, स्टॉप डेम इसके अलावा शून्य क्योंकि यह सब तो होता ही है सरकार और जनप्रतिनिधि किसी भी दल का हो। जबकि उज्जैन ने इस प्रदेश को मुख्यमंत्री, केन्द्रीय मंत्री, मध्यप्रदेश शासन के अनेक मंत्री दिये।
खैर, छोडिय़े इन बातों को। मैं इस वक्त मध्यप्रदेश शासन के उस युवा अधिकारी के परिश्रम को नहीं भूल सकता जिसने स्मार्ट सिटी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी और महाकालेश्वर मंदिर के प्रशासक पद पर रहते हुए दिन-रात मेहनत कर मंदिर विकास की योजनाएँ बनवाई उसका नाम हैं अवधेश शर्मा, जो बाबा महाकाल के आशीर्वाद से आज समीप के ही जिले आगर के जिलाधीश पद को सुशोभित कर रहे हैं। मैं तात्कालीन जिलाधीश श्री मनीष सिंह जी और संभागायुक्त श्री बी.एम. ओझा के अवदान का भी विशेष उल्लेख करना चाहूँगा।
इसे भी माना जाना चाहिये कि जो काम करेगा उससे गलतियाँ तो होगी परंतु गलतियों को सुधारे जाने और बेहतर किये जाने की संभावनाएँ सदैव जीवित रहती हैं। योजना बनकर आकार भी लेने लगी है और हरिफाटक सेतू से महाकाल मंदिर परिसर का विहंगम दृश्य भी नजर आने लगा है। शहर का सौभाग्य है कि वर्तमान में इस शहर के विकास में रूचि रखने वाले श्री आनंद शर्मा संभागायुक्त पद पर और ऊर्जावान, कर्मठ श्री आशीष सिंह जी के हाथों में जिले की कमान है। साथ ही निर्माण एजेंसी विकास प्राधिकरण उज्जैन के मुख्य कार्यपालन अधिकारी पद पर श्री सोजान सिंह रावत पदस्थ हैं।
शासन से इतना आग्रह जरूर है कि मंदिर परिसर विकास करते समय कार्यवाही बिना भेदभाव के होना चाहिये। समान दृष्टि रखते हुए उस जद में किसी भी प्रभावशाली राजनैतिक दल द्वारा किया गया निर्माण आ रहा हो तो उसे समानता के साथ हटाया जाना चाहिये। दूसरा सुझाव यह है कि रेलवे स्टेशन के पास ही नीलगंगा कब्रिस्तान के सामने की रंग खाता वाली भूमि महाकाल मंदिर को प्राप्त हुई है। उस पर धर्मालुओं के लिये सर्वसुविधा युक्त धर्मशाला का निर्माण किया जाना चाहिये ताकि टे्रन-बस से आने वाले श्रद्धालु स्टेशन के समीप ही ठहर सकें।
आज मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान शाम को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये प्रशासनिक अधिकारियों से चर्चा करेंगे। हम पूरी उम्मीद करते हैं कि निहित स्वार्थों के चलते विरोध करते लोगों की बातों में ना आकर सकारात्मक सोच के साथ मंदिर परिसर विकास पर ग्रहण नहीं लगने देंगे।