कार्तिक मेले के काम के मामले में उलटे उलझ गए निगम अधिकारी
उज्जैन, अग्निपथ। नगर निगम से ठेके का भुगतान नहीं हो पाने की वजह से नशीली गोलिया गटककर ठेकेदार द्वारा आत्महत्या की कोशिश किए जाने का मामला नगर निगम अधिकारियों के उल्टे गले पड़ गया है।
शुरूआत में निगम अधिकारियों ने यह कहकर पल्ला झाडऩे की कोशिश की कि जहर खाने वाले जावेद को कार्तिक मेले में ठेका ही नहीं दिया गया था, यह टेंडर देवास के रियाजुद्दीन के नाम से था। अब प्रकरण में नया ही खुलासा हुआ है। जिस ठेकेदार जावेद को निगम अधिकारी बाहरी बता रहे है, उसे उज्जैन नगर निगम से ही कार्तिक मेले के काम के एवज में 5 बार भुगतान किया गया है।
दो पूर्व आयुक्तों के भी भुगतान की नोटशीट पर हस्ताक्षर है। यदि किसी तरह की कार्यवाही होती है तो यह तय है कि बिना शासन की तकनीकी स्वीकृति के ठेके की राशी का भुगतान करने वाले पूर्व आयुक्त भी कार्रवाही के लपेटे में आएंगे।
शुक्रवार की शाम बिलोटीपुरा निवासी ठेकेदार जावेद खान ने नगर निगम परिसर के बाहर ही नशीली गोलिया खाकर आत्महत्या की कोशिश की थी। कार्तिक मेला मैदान में कांक्रीट का काम करने वाले जावेद खान को नगर निगम से करीब 3 करोड़ रूपए का भुगतान लेना है। इस काम का ठेका जावेद के चाचा रियाजुद्दीन के नाम से था, प्रकरण से जुड़ी फाइल में रियाजुद्दीन ने जावेद खान के नाम की पावर ऑफ अटर्नी लगा रखी है।
खास बात यह है कि प्रकरण से जुड़ी फाइल में जहां भी ठेकेदार के रूप में रियाजुद्दीन के नाम का उल्लेख है वहां कोष्ठक में पीओ जावेद खान शब्द भी लिखे है। बिना शासन की तकनीकी स्वीकृति मिले निगम अधिकारियों ने न केवल इस काम के टेंडर किए, बल्कि ठेकेदार को वर्क आर्डर भी जारी किया और समय-समय पर 5 बार उसके रनिंग बिलों का भुगतान भी किया। प्रकरण पुस्तिका में भुगतान पर 2 जगह पूर्व आयुक्त प्रतिभा पाल और 3 स्थानों पर पूर्व आयुक्त क्षितिज सिंघल के हस्ताक्षर है।
जनप्रतिनिधियों को भी अंधेरे में रखा
कार्तिक मेला मैदान के कांक्रीटीकरण की राज्यशासन से तकनीकी स्वीकृति नहीं थी, यह बात नगर निगम के आयुक्त से लेकर नीचे तक के सभी अधिकारियों को मालूम थी। मेले के नए मैदान के लोकार्पण के लिए सांसद अनिल फिरोजिया, विधायक पारस जैन, पूर्व महापौर मीना जोनवाल आदी को आमंत्रित कर इनसे इस काम का लोकार्पण करवाया गया। निगम अधिकारियों ने जनप्रतिनिधियों से भी यह जानकारी छुपा कर रखी कि जिस काम का उनसे लोकार्पण करवाया, उसे शासन से मंजूरी ही नहीं मिली है।
शिकवे मिटाने, ठेकेदारों के साथ बैठे अधिकारी
जावेद खान द्वारा आत्महत्या की कोशिश किए जाने के मामले के बाद से ही नगर निगम के ठेकेदारों और आयुक्त अंशुल गुप्ता के बीच ठनी हुई है। निगम अधिकारियों के खिलाफ ठेकेदार एसोसिएशन सोमवार शाम एक प्रेस कांफ्रेंस करने वाली थी। यह प्रेस कांफ्रेस हो पाती इससे पहले ही मामले को ठंडा करने की कोशिशें शुरू हो गई थी।
सोमवार दोपहर कर्मचारी नेता रामचंद्र कोरट ने दोनों पक्षों के बीच मध्यस्तता की। कोरट की पहल पर सोमवार दोपहर दोनों पक्ष साथ बैठे। एक पक्ष से नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता, अपर आयुक्त आदित्य नागर, अधीक्षण यंत्री जी.के. कंठिल और दूसरे पक्ष से बिल्डर(ठेकेदार) एसोसिएशन के पदाधिकारी साथ बैठे।
दोनों पक्षों ने एक दूसरे के प्रति गिले-शिकवे मिटाए। आयुक्त ने भरोसा दिलाया कि किसी एक अधिकारी की तैनाती कर किसी तरह 7 दिन में शासन की तकनीकी स्वीकृति मंगाने के प्रयास किए जाएंगे। इसके अलावा भुगतान रोके जाने और तकनीकी स्वीकृति नहीं होने के बावजूद टेंडर कर वर्क आर्डर जारी करने वाले अधिकारियों के विरूद्ध जांच बैठाई जाएगी। आयुक्त के इस आश्वासन से फिलहाल तो ठेकेदारों का आक्रोश शांत हो गया है।