वैराग्य वाटिका में हुई दीक्षा विधि, दीक्षार्थी के जयकारों से गूंजा परिसर, रजोहरण मिलते ही भक्ति में झूम उठा
उज्जैन, अग्निपथ। श्वेताम्बर जैन समाज के 24 वर्षीय ग्रेजुएट युवा आकाश राजबहादुर लोढ़ा ने सांसारिक सुखो का त्याग कर बुधवार को संयम जीवन अंगीकार किया। अरविंद नगर के परिसर में तैयार विजय वल्लभ वैराग्य वाटिका में हजारो लोगो की साक्षी में राजकीय अतिथि गच्छाधिपति आचार्य नित्यानंद सूरीश्वर जी ने आकाश को जैन मुनि दीक्षा दी। जिस पर उसे मुनि मोक्षयश विजय जी नाम मिला।
प्रक्रिया पूर्ण होते ही जैसे ही गुरुदेव ने उसे रजोहरण दिया वह भक्ति में झूम उठा। फिर बंद कमरे में मुंडन के बाद मुनि वेष धारण कर जैसे ही दीक्षित मंच तक पहुंचा तो दीक्षार्थी की जय जयकार से परिसर गूंज उठा। युवा प्रवचनकार मुनि मोक्षानंद विजय जी नूतन दिक्षित के गुरु होंगे।
धन्य है माता विनीता एवं पिता राजबहादुर लोढ़ा जिन्होंने एकलौते पुत्र को संयम जीवन के लिए आज्ञा दी। महोत्सव मातुश्री लीला बाई शांतिलाल कोचर एवं इंदिरा नगर जैन श्री संघ के संयोजन में हुआ। दीक्षा से पूर्व सुबह घर से निकलने दौरान आकाश को परिजनों ने भावुक होकर विदाई दी।
महोत्सव समिति के योगेश कोचर व डॉ. राहुल कटारिया के अनुसार दीक्षा आयोजन में मालवा अंचल सहित दिल्ली, पंजाब, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, दक्षिण भारत से सैकड़ों गुरु भक्त उज्जैन आए। इस दौरान विधायक पारस जैन, ज्ञानचंद कोचर, अजीत कोचर, बृजेश श्रीमाल, रूपेश जैन, मनीष गुप्ता, विपिन कोचर, कपिल कोचर, डॉ. संजीव जैन,अभय जैन भय्या, रितेश खाबिया, राहुल सर्राफ, रितेश जैन, विमल पगारिया, राजेश पटनी, सचिन मूणत, नरेश भंडारी, अभय जैन मामा, संजय भंडारी, चेतन लुक्कड़, सहित बड़ी संख्या में समाज जन मौजूद रहे। 9 साल बाद उज्जैन में यह संयोग बना है जब श्वेतांबर समाज के युवा की मुनि दीक्षा हुई। इसके पहले लखेरवाड़ी निवासी 21 साल के गौरव तरवेचा ने दीक्षा ली थी।
महोत्सव की खास झलकियां
- दीक्षा की धार्मिक विधि सुबह 9 से शुरू हुईं और दोपहर 2.30 बजे तक चली।
- वैराग्य ले रहे आकाश के चेहरे पर अलग ही उत्साह नजर आया।
- दीक्षा विधि होने के बाद मुनि वेष में आये बेटे को माता-पिता सहित उपस्थित सैकड़ों लोगों ने उन्हें वंदन किया।
- दीक्षार्थी की सांसारिक मासी साध्वी श्री चेतन प्रज्ञा श्रीजी, शीलरत्ना श्री जी एवं श्री शीलप्रज्ञा श्रीजी भी मंच पर मौजूद रही।
- विधि दौरान स्थल छोटा पड़ गया तो लोगों ने सीढिय़ों, गैलरी व अन्य स्थानों पर बैठकर प्रसंगों को देखा। तीन मेगा स्क्रीन भी लगाई गई थी।
- दीक्षा विधि के बाद मुनि मोक्षानंद विजय जी, दीक्षार्थी की माता विनीता लोढ़ा सहित अन्य का इक्षु रस से वर्षी तप पारणा हुआ।
आज आंगन प्रवेश, फिर पैदल विहार
नूतन दिक्षित मुनि मंडल के साथ गुरुवार सुबह 8 बजे इंदिरा नगर स्थित अपने निवास पर पधारेंगे। इसके बाद वे शाम में आचार्यश्री के साथ इंदौर की ओर पैदल विहार करेंगे। इधर इंदौर के क्लर्क कॉलोनी श्री संघ की विनती स्वीकार करते हुए आचार्य श्री साध्वी देवेंद्र श्री जी मसा का चातुर्मास वहां करने की घोषणा की साथ ही साध्वी शीलरत्ना श्रीजी व साध्वी शील प्रज्ञा श्रीजी मसा का चातुर्मास इंदिरा नगर जैन मंदिर पर होगा।
दीक्षा का मतलब केवल वेष नहीं, मानस परिवर्तन
दीक्षा विधि के बाद आचार्य श्री नित्यानंद सुरीश्वर जी ने कहा कि दीक्षा का मतलब केवल वेष परिवर्तन नहीं मानस परिवर्तन करना है। और जिसके मानस का परिवर्तन हुआ वही सच्चा दीक्षित है। जीवन की आधी, व्याधि, विकार, मोह, माया से लडऩे का साहस ही संयम है। संयम लेकर ही मोक्ष संभव है। जो व्यक्ति अष्ट कर्मो का वेदन करता है, वही भिक्षु बनता है। ऐसा ही आकाश ने भी किया है। आचार्य श्री ने दीक्षार्थी का मांगलिक केश लोचन भी किया।