नगर निगम आयुक्त ने किया निलंबित, टं्रेचिंग ग्राउंड पर अटैच किया
उज्जैन, अग्निपथ। नगर निगम के प्रभारी फायर ऑफिसर और कंट्रोल रूम प्रभारी राजेश तिवारी को गुरूवार को नगर निगम आयुक्त ने निलंबित कर दिया है। राजेश तिवारी को निलंबित करने के साथ ही उन्हें गोंदिया ट्रेचिंग ग्राउंड पर अटैच किया गया है। कोर्ट में विचाराधीन एक प्रकरण में राजेश तिवारी की गलत गवाही की वजह से नगर निगम को लाखों रूपयों का फटका लगा है, इसी वजह से यह कार्रवाही की गई है।
नगर निगम में सफाई कामगारों के रिक्त पद पर अस्थाई रूप से दो कर्मचारियों मनसुख पिता गणेश और जगदीश पिता नारायण ने कुछ वक्त तक काम किया था। इन दोनों ही कर्मचारियों ने कोर्ट में नगर निगम के विरूद्ध केस लगाकर खुद के लिए स्थाई नियुक्ति की मांग की थी। कोर्ट में कंट्रोल रूम प्रभारी राजेश तिवारी प्रभारी अधिकारी नहीं थे, इसके बावजूद उन्होंने दोनों ही कर्मचारी मनसुख और जगदीश के पक्ष में गवाही दी थी। राजेश तिवारी कोर्ट में बयान दे आए थे कि दोनों कर्मचारी सफाई कामगारों के रिक्त व स्थाई व स्वीकृत पद पर लगातार संतोष जनक रूप से काम कर रहे थे।
राजेश तिवारी की गवाही के बाद कोर्ट ने दोनों कर्मचारियों के पक्ष में फैसला दिया, इन्हें स्थाई नियुक्ति के आदेश जारी किए गए इसके अलावा 29 सितंबर 2011 से 31 अगस्त 2016 तक की अवधि के वेतन व एरियर के रूप में 17 लाख 68 हजार 980 रूपए का भुगतान भी 90 दिन की अवधि में करने के आदेश जारी कर दिए। 2016 से 2022 तक के वेतन और एरियर की गणना तो अभी हुई ही नहीं है।
सीधे तौर पर इस एक प्रकरण में ही नगर निगम को लगभग 30 लाख रूपए का फटका लगा है। कोर्ट द्वारा तय अवधि में भुगतान नहीं करने की वजह से दो बार कोर्ट से कुर्की वारंट जारी हो चुका है। आयुक्त अंशुल गुप्ता ने जब पूरे मामले की जांच करवाई तो पता चला कि हाइकोर्ट में भी इस प्रकरण में नगर निगम का पक्ष ठीक से नहीं रखा गया था। कंट्रोल रूम के प्रभारी राजेश तिवारी द्वारा दोनों कर्मचारियों के पक्ष में दी गई गवाही हर जगह आड़े आई और नगर निगम को केस में मुंह की खानी पड़ी।
प्रकरण में सीधे तौर पर राजेश तिवारी की भूमिका सामने आने के बाद आयुक्त ने उनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश जारी किए है। राजेश तिवारी को सिविल सेवा एक्ट की धारा 14 के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित कर गोंदिया ट्रेचिंग ग्राउंड में अटैच कर दिया गया है।
रिकवरी का भी नोटिस
कंट्रोल रूम प्रभारी राजेश तिवारी पर दोहरी गाज गिरी है। राजेश तिवारी को न केवल निंलबित किया गया है बल्कि उन्हें 17 लाख 68 हजार रूपए की रिकवरी का नोटिस भी थमा दिया गया है। गुरूवार को जारी आदेश के मुताबिक राजेश तिवारी को 15 दिन में कोर्ट द्वारा फाईन किए गए 17 लाख 68 हजार रूपए जमा करने को कहा गया है। आयुक्त ने अपने आदेश में लिखा है कि राजेश तिवारी की वजह से नगर निगम को यह हानि हुई है लिहाजा भरपाई भी राजेश तिवारी से ही की जाए।
विजय गोयल को सौंपा प्रभार
राजेश तिवारी के पास नगर निगम कंट्रोल रूम के प्रभारी के पद के साथ ही फायर ऑफिसर पद का भी प्रभार था। ये दोनों ही पद अब उपयंत्री विजय गोयल को सौंप दिए गए है। विजय गोयल के पास वर्कशॉप उपयंत्री का पद पहले से है।
जांच समिति बनाई
कर्मचारी मनसुख औैर जगदीश की नियुक्ति से जुड़े मामले में हाइकोर्ट में केस हार जाने और 17 लाख 68 हजार रूपए के नुकसान से जुड़े मामले में आयुक्त अंशुल गुप्ता ने तीसरा आदेश भी जारी किया है। आयुक्त ने अपर आयुक्त आशीष पाठक की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की है। इस समिति में अपर आयुक्त आदित्य नागर, उपायुक्त संजेश गुप्ता और सहायक आयुक्त पूजा गोयल को सदस्य बनाया गया है। यह समिति प्रकरण में विभिन्न स्तर पर हुई लापरवाही के लिए जिम्मेदारी तय करेगी। समिति को 15 दिन में आयुक्त को अपनी रिपोर्ट देना है।