लोकायुक्त का पाइंट छोड़ने पर प्रोटोकॉल कर्मचारियों की प्रशासक ने ली परेड

एक दर्जन कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस, पांच साल हो चुके एक ही जगह जमे हुए कर्मचारियों को

उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर में सबसे अधिक कमाई की जगह भस्मारती के बाद प्रोटोकॉल व्यवस्था है। यहां पर जमे हुए कर्मचारियों का रोटेशन आज तक नहीं हो पाया है। ऐसे में अपने को बुलंद समझने वाले यह कर्मचारी केवल उन ही लोगों का पाइंट ले जा रहे हैं, जोकि उनके परिचित हैं। उनसे इनका आर्थिक हितलाभ भी सध रहा है। जबकि अति विशिष्ट लोगों को प्रोटोकाल देने में लापरवाही बरती जा रही है।

जिला और मंदिर प्रोटोकाल में पदस्थ कर्मचारी अपनी ढपली अपना राग बजा रहे हैं। इनको अति विशिष्ट लोगों का पाइंट डालने के बावजूद उनकी व्यवस्था पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। बल्कि ‘अपनेÓ पाइंटों को ले जाकर उनसे आर्थिक हितलाभ साध रहे हैं। हाल ही में इस व्यवस्था से जुड़े 12 के लगभग कर्मचारियों को कारण बताओ सूचना पत्र दिया गया है। मामला इस प्रकार से है कि 1 मई को लोकायुक्त अपने परिवार के साथ भगवान महाकाल के दर्शन के लिए आए थे। उनको गर्भगृह से भगवान महाकाल के दर्शन करना थे। सुबह 8 से 9 के बीच में यह पाइंट आया था, लेकिन किसी ने इस पर ध्यान ही नहीं दिया। इसकी शिकायत लोकायुक्त ने मंदिर प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ को की। लिहाजा उन्होंने जिला और मंदिर प्रोटोकाल के सभी कर्मचारियों को कारण बताओ सूचना पत्र थमा दिया।

क्या लिखा है सूचना पत्र में
कारण बताओ सूचना पत्र में कहा गया है कि 1 मई को लोकायुक्त मध्यप्रदेश शासन का पूरा परिवार भगवान महाकाल के दर्शन के लिए आना निर्धारित था। अतिथियों के आगमन की प्रोटोकॉल में पदस्थ सभी कर्मचारियों को पूर्व सूचना थी। किंतु पूर्व सूचना के उपरांत भी अतिथि को वस्त्र बदलने के लिए कंटेनर, मंदिर में जाने के लिए गमन मार्ग व गर्भगृह में पर्याप्त प्रबंध ना होने के कारण अति विशिष्ट अतिथि व उनके परिवार को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। जिससे अति विशिष्ट अतिथि के समक्ष मंदिर की छवि धूमिल हुई है।

रजिस्टर में नहीं हो रहे पाइंट इंद्राज
प्रोटोकाल शाखा में दो शिफ्ट में पदस्थ एक दर्जन के लगभग कर्मचारी विगत पांच वर्ष से इसी शाखा में पदस्थ होकर काम कर रहे हैं। इनका अतिविशिष्ट लोगों से सीधा संपर्क भी है। लेकिन एक ही जगह पर पदस्थ होने के कारण अब यह लापरवाही बरतने लगे हैं। दिनभर इनके द्वारा ना जाने कौन कौन से पाइंट ले जाए जाते हैं। हाल ही में प्रभारी दर्शन व्यवस्था सुश्री रजनी खेर ने यहां पर पाइंटों के नाम डालने के लिए एक रजिस्टर भी रखवाया है, लेकिन इसमें इसका इंद्राज नहीं किया जा रहा है। वहीं महाकाल प्रोटोकाल वाट्सअप गुु्रप पर भी पाइंटों के नाम नहीं डाले जा रहे हैं।

प्रशासक ने कर्मचारियों को आड़े हाथों लिया
मंदिर प्रशासक श्री धाकड़ ने कारण बताओ सूचना पत्र जारी करने से पहले जिला और मंदिर प्रोटोकाल में पदस्थ सभी कर्मचारियों को बुलाकर इनकी जमकर परेड ली। जानकारी में आया है किसी ने अपना मोबाइल बैटरी डिस्चार्ज होने का हवाला दिया तो किसी ने अन्य कोई कारण बताया। इसके बाद सभी कर्मचारियों को श्री धाकड़ ने 5 अप्रैल को कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया। जिसमें दो दिवस में जवाब देने को कहा गया है।

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