कैसे करें संवाद: वॉकी टॉकी तो हैं… खराब लेकर घूम रहे कर्मचारी

प्रोटोकॉल, भस्मारती सहित प्रमुख जगहों पर तैनात कर्मचारियों को वाकी टॉकी की दरकार, नगरनिगम को चुकाया जा रहा किराया

उज्जैन, अग्निपथ। विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में हाल ही में एक दर्जन से अधिक प्रोटोकाल कर्मचारियों को लोकायुक्त का पाइंट हेंडल नहीं करने के ऐवज में कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया गया है। मंदिर की छवि धूमिल होने के कारण मंदिर प्रशासन द्वारा ऐसा किया गया है। लेकिन कर्मचारियों को मोबाइल पर ही पाइंट निपटाने पड़ रहे हैं। उनको दिए गए वॉकी टॉकी खराब पड़े हुए हैं। यदि इनको ठीक करवा दिया जाए तो काफी हद तक अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच सामंजस्य स्थापित हो सकता है।

1 मई को मप्र शासन के लोकायुक्त अपने परिवार के साथ भगवान महाकाल के दर्शन के लिए पहुंचे थे, लेकिन उनको प्रोटोकॉल नहीं मिल पाया था। एक कारण इसका उभर कर यह भी आया है कि अधिकारियों का सीधा संवाद कर्मचारियों से नहीं हो पा रहा है। संवाद करने के लिए कर्मचारियों को मोबाइल पर सूचित करना पड़ता है। कभी मंदिर में आकस्मिक दुर्घटना या त्वरित बात करने की आवश्यकता अधिकारियों को पड़ जाए तो सभी से एकसाथ कैसे कर पाएंगे। फिलहाल वाट्सअप गु्रप के माध्यम से अधिकारी कर्मचारियों से संवाद कर रहे हैं, लेकिन यह नाकाफी है।

वॉकी टॉकी खराब पड़े हुए
सिंहस्थ-2016 में मंदिर में श्रद्धालुओं के आगमन को देखते हुए नगरनिगम ने कर्मचारियों के लिए 100 के लगभग वॉकी टॉकी सेट्स प्रदान किए थे। बकायदा इसके लिए तभी से किराया भी लिया जा रहा है, लेकिन सभी सेट्स खराब पड़े हुए हैं। जानकारी में आया है कि इनकी बेटरी बोल चुकी हैं। ऐसे में मंदिर की आवश्यक जगहों प्रोटोकॉल, भस्मारती, गर्भगृह, मुख्य प्रवेश द्वारों पर तैनात कर्मचारी जरूरत पड़ने पर अधिकारियों से सीधी बातचीत नहीं कर पा रहे हैं।

ननि को चुका रहे किराया
नगरनिगम को बकायदा इसका किराया 2016 से ही मंदिर प्रबंध समिति द्वारा चुकाया जा रहा है। लेकिन इन खराब सेट्स की खबर किसी ने भी नहीं ली है कि इनको ठीक करवाया जाए। आगामी दिनों में महाकाल मंदिर विस्तारीकरण के चलते इन सेट्स की महति आवश्यक पड़ने वाली है। मंदिर की आवश्यक जगहों पर तैनात प्रभारी भी अधिकारियों और अपने अधीनस्थ कर्मचारियों से सीधी बात नहीं कर पा रहे हैं।

इनका कहना है-
मुझे इसकी जानकारी नहीं है। यदि ऐसा है तो इनको ठीक करवाया जाएगा।
गणेश कुमार धाकड़, प्रशासक महाकालेश्वर मंदिर

वॉकी टॉकी बने झांकीबाजी का पर्याय
मंदिर के कर्मचारियों की कमर में वॉकी टॉकी तो लटक रहे हैं, लेकिन किसी को नहीं मालूम कि यह बंद पड़े हुए हैं। मंदिर के कर्मचारी इनको लेकर घूम तो रहे हैं लेकिन इनकी जगह मोबाइल पर मंदिर के आवश्यक काम निपटा रहे हैं। अधिकारी और अपने कर्मचारियों से इसके नहीं होने के कारण सीधे और ग्रुप में संवाद भी नहीं कर पा रहे हैं। यह तो लोकायुक्त का पाइंट था, इनकी जगह यदि अचानक मुख्यमंत्री या गृहमंत्री मंदिर आ जाएं तो मंदिर प्रशासन को लेने के देने पड़ जाएं।

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