उज्जैन, अग्निपथ। कार्तिक मेला ग्राउंड के विवादास्पद निर्माण के मामले में शासन की ओर से तकनीकी स्वीकृति मिलने का रास्ता लगभग साफ हो गया है। खास बात यह है कि उज्जैन में रहते हुए जिस अधिकारी ने इस प्रकरण को उलझाया अब भोपाल में वे अधिकारी ही इस प्रकरण को सुलझा रहे है। अगले एक या दो दिनों में कार्तिक मेला मैदान के मामले में तकनीकी स्वीकृति जारी होने की पूरी संभावना बन गई है।
कार्तिक मेला मैदान में दो साल पहले शुरू किए गए सीमेंट-कांक्रीट के लगभग 7 करोड़़ रूपए के काम को नगर निगम के तत्कालीन तकनीकी अधिकारियों ने अपने स्तर पर ही शुरू करवा दिया था। नियम है कि यदि कोई काम 5 करोड़ रूपए से अधिक का है तो उसके लिए शासनस्तर पर तकनीकी स्वीकृति ली जाना जरूरी होता है। बिना तकनीकी स्वीकृति के कार्तिक मेला ग्राउंड में कांक्रीट के काम का टेंडर भी निकला, वर्क आर्डर भी जारी हुआ और काम भी पूरा किया गया।
ठेकेदार जावेद खान को नगर निगम से तीन बार पार्ट पेमेंट भी कर दिया गया। यह मामला पिछले दिनों तब दोबारा से चर्चा में आया जब ठेकेदार जावेद खान ने करीब 3 करोड़ रूपए का भुगतान नहीं मिल पाने की वजह से नगर निगम परिसर के बाहर नशीली गोलियां खाकर आत्महत्या की कोशिश की थी। जावेद द्वारा आत्महत्या का प्रयास किए जाने के बाद नगर निगम के सारे ठेकेदार निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता की कार्यप्रणाली को लेकर खासे नाराज हो गए थे।
आयुक्त के खिलाफ मोर्चा खोल दिया गया था। ठेकेदारों के साथ हुई बातचीत में आयुक्त ने भरोसा दिलाया था कि वे कार्तिक मेला के काम की तकनीकी स्वीकृति मंगवाने के लिए स्वयं के स्तर पर भी प्रयास करेंगे। इस पूरे घटनाक्रम में एक रोचक पहलू सामने आया है।
नगर निगम में पूर्व में अधीक्षण यंत्री रहे हंस कुमार जैन ने ही कार्तिक मेला मैदान में बिना तकनीकी स्वीकृति के काम शुरू करवाया था। यहीं हंस कुमार जैन अब नगरीय प्रशासन विभाग में चीफ इंजीनियर है और शासन ने 5 करोड़ से अधिक से खर्च वाले कामों की तकनीकी स्वीकृति प्रदान करने के अधिकार उन्हें ही सौंप रखे है। मंगलवार को नगर निगम के अधीक्षण यंत्री जी.के. कंठिल ने भी भोपाल में चीफ इंजीनियर हंस कुमार जैन से मुलाकात की है।