शिकायतकर्ता पर साहब बना रहे हैं दबाव शिकायत वापस लेने के लिए, वो भी बिना निराकरण किए
पेटलावद, (बुरहानुद्दीन बोहरा) अग्निपथ। तहसील से अनापत्ति प्रमाण पत्र बनाने के लिए चल रहे दो अलग-अलग नियम। जी हां हम बात कर रहे हैं पेटलावद तहसील की जहां वार्ड क्रमांक 5 में एक भूमि जो की रशीदा बाई के नाम से रजिस्टर्ड है जिन्होंने मकान बनाने के लिए तहसील से अनापत्ति प्रमाण पत्र चाहा लेकिन तहसील कार्यालय से पटवारी ने उनका अनापत्ति प्रमाण पत्र को जमीन राजस्व में उनके नाम से दर्ज नहीं होना बताकर आवेदन खारिज कर दिया।
वहीं पास में एक और भूमि है जो कि विवादित है जिस पर न्यायालय में प्रकरण विचाराधीन है और ना ही उस भूमि का नाम राजस्व रिकार्ड में चढ़ा हुआ है और दोनों भूमि का सर्वे नंबर 1138 एक ही है। जब इस बारे में सीएम हेल्प लाइन पर शिकायत की गई तो तहसीलदार ने शिकायतकर्ता को तहसील कार्यालय बुलाकर सिर्फ खाना पूर्ति का काम किया गया और शिकायत वापस लेने के लिए दबाव बनाया गया। जब तहसीलदार से जानना चाहा कि अनापत्ति प्रमाण पत्र के लिए दो नियम अलग-अलग कैसे तो उनके पास कोई जवाब नहीं था और साहब से जब जानना चाहा कि पटवारी पर क्या कार्यवाही करोगे? क्योंकि गलती उनकी है तो जवाब था मैं कुछ नहीं करूंगा अब आप जा सकते हैं।
पटवारी ने अपनी जादूगरी पंचनामे आखिर किसके इशारे पर दिखाई क्या इसकी जांच नहीं होनी चाहिए? यदि इस पूरे मामले की ईमानदारी से जांच की जाए तो सेटिंग का मामला निश्चित तौर पर उजागर होगा।
सूत्रों की माने तो एक अनापत्ति प्रमाण पर देना और दूसरे को अनापत्ति पत्र नहीं देना मतलब कुछ तो दाल में काला है और साहब शिकायत बिना निराकरण किए वापस लेने के लिए दबाव बना रहे हैं। साहब किसी कमजोर को परेशान करना भी ठीक नहीं है। आप कितना भी दबाव में गलत कार्य कर ले किंतु ऊपर वाला सब देख रहा है। आपको जवाब भी देना पड़ेगा और कार्यवाही भी नियमानुसार करनी ही पड़ेगी। आज नहीं तो कल आप कितना भी दबाव बना ले न्यायालय के दरवाजे सबके के लिए खुले हैं जहां से आज नहीं तो कल न्याय अवश्य मिलेगा और साहब आप कितना भी दबाव बनाकर सीएम हेल्पलाइन की शिकायत लेने के लिए दबाव बना सकते हैं। लेकिन निराकरण के बिना तो संभव है और लापरवाह पटवारी के बारे में साहब बता रहे हैं कि में कार्यवाही नहीं कर सकता हूं तो आप कार्यवाही करने के लिए अक्षम है तो मामले से अपने वरिष्ठ अधिकारी जो कार्यवाही करने में सक्षम है तो अवगत करवा ही सकते हैं।
हल्का पटवारी ने जिस सर्वे की भूमि का अलग-अलग पंचनामा बनाया है उस भूमि का सर्वे क्रमांक तो एक है तो फिर दो आवेदनकर्ता के आवेदन पर जो पंचनामें बनाकर अपने अधिकारी के समक्ष पेश किए उनमें अंतर क्यों? और जब अंतर है तो कुछ तो गड़बड़ी हुई है और जो गड़बड़ी हुई है वो किसके इशारे पर हुई है जांच तो होनी चाहिए और जो भी दोषी है उस पर कार्यवाही भी होनी चाहिए।