फूलपत्तियों की नक्काशी पत्थरों पर, अल्तुतमिश ने 1232 में तोड़ा था मंदिर
उज्जैन, अग्निपथ। महाकाल मंदिर विस्तारीकरण के तहत सती माता मंदिर के पीछे के स्थान के गहरीकरण के दौरान शुक्रवार को प्राचीन मंदिर के अवशेष मिलने के बाद काम रोक दिया गया। पुरातत्व विभाग के अधिकारी द्वारा जांच किए जाने के बाद यहां पर मंदिरों की श्रृंखला मिलने की बात कही है।
शुक्रवार दोपहर उज्जैन विकास प्राधिकरण द्वारा मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार के पास स्थित सती माता मंदिर के पीछे जेसीबी द्वारा टनल बनाने के लिए गहरीकरण किया जा रहा था। जेसीबी द्वारा करीब 30 फीट नीचे खुदाई करने के दौरान पत्थरों का एक परकोटा मिला। जिस पर पत्थर एक दूसरे के ऊपर रखे हुए थे। इन पत्थरों पर फूलपत्तियों की नक्काशी दिखाई दे रही थी।
मौके पर मंदिर के सहायक प्रशासक आरके गहलोत, उज्जैन विकास प्राधिकरण के सहायक यंत्री शैलेंद्र जैन सहित अन्य अधिकारी पहुंचे और उन्होंने कार्य को रुकवा दिया और पुरातत्व विभाग के अधिकारियों को सूचना दी। मंदिर के प्रशासक नरेंद्र सूर्यवंशी को भी जानकारी दी गई। इसके बाद यहां पर विक्रम विश्विविद्यालय के पुरातत्व विभाग के प्रभारी डॉ. रमण सोलंकी पहुंचे और जांच की।
सभा मंडप खुदाई में भी निकली थीं शिलाएं
पूर्व में सभा मंडप निर्माण के दौरान भी जब खुदाई की जा रही थी, उस दौरान बड़ी-बड़ी पत्थर की शिलाएं खुदाई के दौरान निकली थीं। मंदिर के अधिकारियों ने इनको अन्यत्र शिफ्ट कर दिया था। पत्थर का एक गोलाकार समय चक्र भी निकला था। ज्ञातव्य रहे कि पूर्व में मंदिर गर्भगृह के समानांतर था जिसको ऊंचा कर गर्भगृह को नीचे कर दिया गया था। उस दौरान पुरातात्विक महत्व की काफी चीजें जमीन के नीचे दबकर रह गई थीं।
मंदिरों की श्रृंखला मिलेगी
पुरातत्व वेत्ता डॉ. रमण सोलंकी ने मीडिया को बताया कि महाकाल मंदिर में पुरातात्विक मंदिर के अवशेष प्राप्त हुए हैं। यह पहली बार है कि कोई मंदिर झांकता दिखाई दे रहा है। विदेशी आक्रांता अल्तुतमिश ने सन्-1232 में महाकाल मंदिर पर आक्रमण किया था। इसको तोड़ा गया था। यहां पर मंदिरों की पूरी एक श्रृंखला मिल सकती है।
होल्कर राज्य के रामचंद्र सेंडवी द्वारा महाकाल मंदिर का पुनर्निमाण करवाया गया था। यह परमारकालीन समय का मालूम पड़ता है। महाकाल मंदिर की खुदाई के दौरान जितनी भी पुरातात्विक सामग्री मिल रही है, उसका एक संग्रहालय बनाकर रख्नना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्होंने यूडीए सीईओ सोजानसिंह रावत से इस मामले ेंबात की है। उनको बताया गया है कि केन्द्र या प्रदेश के किसी पुरातत्ववेत्ता या इतिहासकार की देखरेख में खुदाई करवाना चाहिए। यह सामग्री इतिहास को पूर्णता प्रदान करेगी।