राज्य की केबिनेट में हुआ फैसला, 17 साल पुराना विवाद समाप्त
उज्जैन, अग्निपथ। भरतपुरी स्थित इस्कान मंदिर से सटी हुई आईटी पार्क की जमीन अब मंदिर के पास ही रहेगी। बुधवार को राज्यशासन ने केबिनेट की बैठक में अंर्तराष्ट्रीय श्रीकृष्ण भावनामृत मिशन यानि इस्कान को जमीन आवंटन के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी गई है, यह मुद्दा करीब 17 साल से लंबित था।
मध्यप्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बुधवार को प्रेस ब्रीफिंग के दौरान इस्कान मंदिर की जमीन को लेकर हुए केबिनेट के फैसले की जानकारी दी। मिश्रा ने बताया कि हाइकोर्ट के निर्णय के परिपालन में केबिनेट ने निर्णय लिया है कि 2004-05 की गाईड लाइन के आधार पर जमीन इस्कान को प्रदान की जाएगी।
उज्जैन विकास प्राधिकरण ने साल 2005 में इस्कान की सहयोगी संस्था वराहमिहिर इंफो डोमेन लि. कंपनी को 500 रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर से 2.88 हेक्टेयर जमीन का आवंटन किया था। इस जमीन पर इस्कान की सहयोगी संस्था द्वारा आईटी पार्क का निर्माण किया जाना था। जमीन आवंटन के साथ विकास प्राघिकरण की पहली शर्त ही यहीं थी कि इस्कान को अगले 1 साल में भवन अनुज्ञा लेना होगी और 3 साल में कम से कम 10 हजार वर्ग फिट जमीन पर निर्माण करना होगा।
इसके ठीक विपरीत 2020 तक वराह मिहिर इंफा. कंपनी ने जमीन पर किसी तरह का निर्माण नहीं किया। 2012 में इस मामले में हाइकोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई गई थी। हाइकोर्ट ने 2013 में राज्यशासन को इस मामले में फैसला लेने के लिए अधिकृत किया था। आवंटित जमीन का किसी तरह का उपयोग नहीं होने की स्थिति में इसी साल 5 फरवरी को विकास प्राधिकरण ने जमीन की लीज निरस्त कर दी थी। हाइकोर्ट के निर्णय के मुताबिक राज्यशासन को मामले में फैसला लेना था लिहाजा अब राज्य की केबिनेट ने पूर्व निर्धारित दर पर जमीन इस्कान को ही सौंपे जाने का निर्णय कर लिया है।
संघ प्रमुख की अहम भूमिका
पिछले दिनों राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत उज्जैन आए थे। वे इस्कान मंदिर में ही ठहरे थे। तभी सर संघचालक इस्कान प्रबंधन को आश्वस्त कर चुके थे कि जमीन इस्कान के पास ही रहेगी। उन्होंने सीधे खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से इस मुद्दे पर बात की थी। तभी तय हो गया था कि जमीन इस्कान के पास ही रहेगी।