जमीन नामांतरण व काम्प्लेक्स की अनुमति में उलझे अधिकारी
उज्जैन,अग्निपथ। देवासरोड के एक विवादित प्लाट के नामांतरण व व्यवसायिक काम्पलेक्स की अनुमति देने पर निगम अधिकारी उलझते दिख रहे हंै। मामले में लोकायुक्त भोपाल ने निगमायुक्त क्षितिज सिंघल को तलब कर जानकारी मांगी है कि कितने अधिकारियों पर कार्रवाई की। उन्होंने पेश नहीं होने पर वारंट निकालने की चेतावनी भी दी है।
देवासरोड स्थित लाल बंगला (बंगला नंबर 40) पर अधिकार को लेकर ऋषि नगर एक्सटेंशन निवासी दिव्या जादौन और आरएम विनो (सुशील जैन गिरिया की कंपनी) का कोर्ट में केस चल रहा है। बावजूद नगर निगम ने आरएम विनो के नाम प्लाट का नामांतरण कर दिया।
यही नहीं बिना टीएनसी अनुमति लॉक डाउन में रहवासी प्लाट पर काम्पलेक्स का नक्शा भी पास कर दिया। मामले में जादौन के अभिभाषक दीपक शर्मा ने लोकायुक्त में शिकायत की थी। नतीजतन उपायुक्त सुनील शाह व भवन अधिकारी अरुण जैन 23 नवंबर को लोकायुक्त के समक्ष पेश हुए थे।
उन्होंने निगमायुक्त का पत्र प्रस्तुत किया था। जिसमें पूर्व भवन अधिकारी पीएल टटवाल (अब सेवानिवृत) को नोटिस का हवाला दिया था। दोनों ने 10 दिसंबर को भी निगमायुक्त को जवाब पेश किया था। इस पर लोकायुक्त ने 12 दिसंबर को निगमायुक्त को नोटिस भेजकर 24 दिसंबर को खुद पेश होकर जवाब देने के निर्देश दिए है। चेतावनी भी दी कि बिना वाजिब कारण गैर हाजिर होने पर वारंट जारी किया जाएगा।
इस जवाब से हुए नाराज
निगमायुक्त की ओर से मिले जवाब पर लोकायुक्त ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं हुआ कि जिस आधार पर टटवाल को नोटिस दिया, ऐसे समान प्रकरणों में कितने अधिकरियों के विरुद्ध सूचना पत्र जारी किया है। उन अधिकारियों पर क्या कार्रवाई की है। याद रहे प्रकरण में अरुण जैन की भूमिका होने पर भी कार्रवाई नहीं की है।
दोहरे जवाब से फंसे अधिकारी
खास बात यह है कि प्रकरण में मुख्य भूमिका निभाने वाले भवन अधिकारी ने लोकायुक्त को बयान में जमीन निजी बताई थी। वहीं हाईकोर्ट को शपथ-पत्र देकर जमीन को सरकारी बता दिया। दोनों जगह भिन्न जवाब देने पर फंसना तय है। वजह उच्च अधिकारी ने भी अपने बचाव के लिए लोकायुक्त के समक्ष उन्हें जिम्मेदार बता दिया।