नगर निगम के कार्यपालन यंत्री भार्गव पर गिरी निलंबन की गाज

Piyush Bhargav engineer UMC nagar nigam 2805 22

15 दिन में 3 मामलों में मिला शोकॉज नोटिस, तीनों प्रकरण बने निलंबन की वजह

उज्जैन, अग्निपथ। नगर निगम के प्रभारी कार्यपालन यंत्री पीयूष भार्गव को शनिवार को नगर निगम आयुक्त द्वारा निलंबित कर दिया गया है। पीयूष भार्गव को निलंबित किए जाने के लिए पिछले 15 दिनों से नगर निगम में आधार बनाए जा रहे थे। इस अवधि में उन्हें 3 बार 3 अलग-अलग मामलों में शोकॉज नोटिस जारी किए गए थे।

शनिवार को नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता ने प्रभारी कार्यपालन यंत्री पीयूष भार्गव को निलंबित करने के आदेश जारी किए। निलंबन काल में उन्हें सदावल स्थित ट्रीटमेंट प्लांट पर अटैच किया गया है। यानि निलंबन अवधि में पीयूष भार्गव को हर रोज सदावल ट्रीटमेंट प्लांट पर पहुंचकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराना होगी। पीयूष भार्गव का उज्जैन नगर निगम में कार्यकाल काफी विवादास्पद रहा है। उन पर पहले भी कई तरह के आरोप लगते रहे हैं लेकिन निलंबन जैसी कार्यवाही पहली बार हुई है।

व्यस्तता के बावजूद आदेश

उज्जैन जिले का पूरा प्रशासन, पुलिस के तमाम अधिकारी और नगर निगम का पूरा अमला आयुक्त अंशुल गुप्ता सहित फिलहाल राष्ट्रपति के आगमन की तैयारियों में जुटा है। राष्ट्रपति के आगमन की तैयारी के दौरान कई अधिकारी तो अपने कार्यालय तक नहीं पहुंचे। इतनी व्यस्तता के बावजूद भी नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता ने पीयूष भार्गव का निलंबन आदेश निकलवाने के लिए फुर्सत निकाली।

अगली तैयारी सुबोध जैन की

नगर निगम के प्रभारी उपायुक्त रहे राजस्व निरीक्षक सुबोध जैन पर भी अगले एक या दो दिन में इस तरह की कार्यवाही हो सकती है। पिछले एक सप्ताह में नगर निगम में सुबोध जैन के निलंबन की भी तैयारी की गई है। निलंबन की सुगबुगाहट के बीच सुबोध जैन ने नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता को 2 महीने के अवकाश के लिए आवेदन दे दिया था।

आयुक्त ने राज्य निर्वाचन आयोग के आदेश का हवाला देते हुए इस आवेदन को स्वीकार नहीं किया है। नगर निगम से जुडे सूत्र बताते हैं कि सुबोध जैन के विरूद्ध कार्यवाही के लिए जिंजर कांड की फाईल भी खंगाली गई है।

भार्गव पर ये तीन आरोप

  1. प्रतापराव तीरथदास राजानी द्वारा तोपखाना के नजदीक जमीन पर स्वामित्व के केस में नगर निगम का पक्ष रखने में लापरवाही की। इस वजह से नगर निगम जमीन का केस हार गया।
  2. उज्जैन शहर के सामुदायिक शौचालयों को किसी संस्था को ठेके पर दिए जाने के मामले में टेंडर निकालने में कई तरह की त्रुटियां की। इससे नगरनिगम को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा।
  3. फ्रीगंज निवासी दिनेश कुमार फुलवानी के मकान को तोडऩे का नोटिस दिए जाने के दौरान कई तरह की त्रुटियां की गई। इससे दिनेश फुलवानी को नगर निगम के विरूद्ध कोर्ट जाने का आधार मिल गया।

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