दोबारा चुनाव के लिए नायब तहसीलदार को रिसीवर नियुक्त किया
नागदा जंक्शन। एसडीएम कोर्ट में लगभग 6 माह से चल रहे अग्रवाल ट्रस्ट के मामले में बुधवार को कोर्ट ने ट्रस्ट को भंग करने के आदेश दिए। ट्रस्ट के चुनाव कराने के लिए नायब तहसीलदार को रिसीवर नियुक्त किया गया है।
अग्रवाल ट्रस्ट की अनियमितताओं को लेकर योगेश पिता जगदीशप्रसाद अग्रवाल निवासी चंबल मार्ग ने एसडीएम कोर्ट में वाद दायर किया था, जिसमें ट्रस्ट के संविधान के विपरित काम करने, ट्रस्ट अध्यक्ष मूल रुप से अपने निजी हित के लिए ट्रस्ट की गतिविधियों का संचालन करने, ट्रस्ट का भवन धर्मशाला का अवैध व्यय पवर्तन करने, नामांतरण नहीं कराने, ट्रस्ट द्वारा ऑडिट नहीं कराने, सदस्यों की मीटिंग नहीं करने, जो सदस्य जीवित नहीं है उनके स्थान पर नए सदस्यों की नियुक्ति नहीं कराने आदि बातें कोर्ट को बताई थी। प्रकरण में अनावेदक की तरफ से ट्रस्ट का मूल स्वरुप बदलने को लेकर कोई सबूत ट्रस्ट की तरफ से पेश नहीं किया गया। इसलिए ट्रस्ट की कार्यकारिणी को भंग कर रिसिवर के रुप में नायब तहसीलदार चुनाव प्रक्रिया संपन्न कराकर प्रतिवेदन कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करेगी।
ट्रस्ट की नई कार्यकारिणी का गठन होने तक ट्रस्ट की संपत्ति का अंतरण व बैंक खाते से किसी भी प्रकार का आहरण प्रतिबंधित रहेंगे। मृत सदस्यों की जगह नवीन सदस्यों के नाम दर्ज किए जाएं। बता दे कि वर्ष 2014 में ट्रस्ट का गठन हुआ था। ट्रस्ट के पहले अध्यक्ष ब्रजमोहन गर्ग के कार्यकाल के बाद से ट्रस्ट में गड़बडिय़ां होना शुरू हुई। जिसमें ज्यादातर गर्ग के बाद अध्यक्ष बने पदाधिकारियों की संलिप्ता है। धीरे-धीरे जब ट्रस्ट की गड़बडिय़ां उजागर होना शुरू हुई तो पदाधिकारियों ने इस्तीफें देना शुरू कर ट्रस्ट से दूरी बनाना शुरू कर दी।
इस बीच दो ट्रस्ट अध्यक्षों की मौत भी हो गई। अग्रवाल ने बताया कि ट्रस्ट ने रेलवे की जमीन पर दुकानें बनाई थी। डीआरएम को इसकी शिकायत के बाद से ट्रस्ट द्वारा बनाई गई 9 दुकानें 2018 से सील पड़ी है। समाज की धर्मशाला का भी अवैध रुप से व्यपवर्तन करते हुए शासन को राजस्व की हानि पहुंचाई है।