अनियमितताओं की जांच के िलए त्रिवेणी संग्रहालय गई थी महाकाल मंदिर प्रशासन की टीम, प्रबंधक देंगी 7 दिन में रिपोर्ट
उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर के प्रकल्प वैदिक प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान में अस्थाई प्राचार्य और उप प्राचार्य पद पर नियुक्ति का मामला सामने आया है। जिसमें अस्थाई प्रभार मंदिर प्रशासक द्वारा दो लोगों को सौंपा गया है। वहीं दूसरी ओर मंदिर प्रशासक का कहना है कि यहां की अनियमितताओं की जांच के लिए त्रिवेणी संग्रहालय की प्रबंधक और मंदिर की सलाहाकार और एक अन्य महिला कर्मचारी को भेजा गया था। उनको सात दिन में यहां की रिपोर्ट बनाकर प्रशासक को सौंपना है। लेकिन इसको अफवाह बनाकर उड़ा दिया गया।
श्री महाकालेश्वर मंदिर के प्रकल्प वैदिक प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान का देश भर में काफी मान है। यहां पर संस्कृत, व्याकरण और वेदों की पढ़ाई कराई जाती है। जिसमें बकायदा विद्यार्थी को आचार्य आदि की उपाधि भी प्रदान की जाती है। मंगलवार को यह समाचार संज्ञान में आया कि प्राचार्य और उप प्राचार्य पद पर मंदिर प्रशासक द्वारा अस्थाई नियुक्ति नोट शीट पर कर दी गई। इसमें त्रिवेणी संग्रहालय की प्रबंधक भावना व्यास को प्राचार्य पद पर और मंदिर कर्मचारी मेघा त्रिवेदी को उपप्राचार्य पद का अस्थाई प्रभार दिया गया। लेकिन बात कुछ और निकली। प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ की मानें तो दोनों को ही यहां की अनमितताओं की जांच के लिए नियुक्त किया गया है। दो दिन की जांच भी हो चुकी है। जिसमें कई अनियमिताएं निकल कर सामने आई हैं। अब पांच दिन की जांच और बाकी है। दोनों को जांच के लिए 7 दिन का समय दिया गया है।
जांच के साथ इन मुद्दों के लिए भी भेजा
जांच में सामने आया है कि वैदिक शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान के निदेशक पीयूष त्रिपाठी यहां पर अपनी मनमर्जी चला रहे हैं। इसलिए दोनों को उनके कार्यकाल की जांच और छात्र चयन समिति का विस्तार, वेद सम्बन्धी पाठ्यक्रम में विस्तार, संस्था का वार्षिक गतिविधि कैलेंडर निर्माण, नवीन पाठ्यक्रम तथा गतिविधि आयोजन हेतु स्टाफ का विस्तार, बारहवीं उत्तीर्ण करने वाले छात्रों के लिए डिप्लोमा कोर्स की शुरुआत (मान्यता हेतु पाणिनि अथवा सान्दीपनि से सम्पर्क), समाज, पर्यावरण व संस्कृति के उत्थान के उद्देश्य को दृष्टिगत रखते हुए संस्था व मन्दिर के बीच संयुक्त गतिविधियों के आयोजन – जैसे यज्ञीय गतिविधियां, शिविर, आदि जिनसे ना सिर्फ छात्रों को एक्सपोजर मिले बल्कि मन्दिर की रेवेन्यू में भी वृद्धि और छात्रों के व्यक्तित्व विकास हेतु टीचिंग पद्धति को अन्तरनुशासनात्मक बनाने पर ज़ोर व बिल्डिंग के सुचारू मेंटेनेंस हेतु ड्यूटी चार्ट में कसावट के लिए भेजा गया है।
नियुक्ति के लिए यह होना चाहिए योग्यता
जानकारी में आया है कि प्राचार्य और उपप्राचार्य पद के लिए वेद व्याकरण संस्कृत की डिग्री अथवा डिप्लोमा होना चाहिए। इसके साथ ही 5 से 8 साल इसी विधा मेंं पढ़ाने का अनुभव भी होना चाहिए। वहीं बीएड और डीएड की डिग्री भी इस पद के लिए आवश्यक है। लेकिन इन दोनों ही विधाओं में दोनों ही को कोई योग्यता नहीं है। भावना व्यास कला विधि अर्थात पेंटिंग आदि में पारंगत है।
कितने पद, कितनी नियुक्तियां
श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा आउटसोर्स कंपनी केएसएस के माध्यम से कर्मचारियों की भर्ती की जा रही है। लेकिन आज तक इस बात का खुलासा नहीं किया गया है कि मंदिर में कितने पद हैं और कितने कर्मचारियों की नियुक्ति अभी तक तक की जा चुकी है। जानकारी में आया है कि लगभग 500 कर्मचारियों को मंदिर के विभिन्न विधाओं में नियुक्त किया जा चुका है। पारदर्शिता बनाने के लिए मंदिर प्रबंध समिति को इस बात का खुलासा करना चाहिए ताकि पीछे के द्वार से किसी का प्रवेश नहीं हो सके।
इनका कहना है
वैदिक शोध संस्थान में अपनी मनमर्जी चल रही थी। दोनों को जांच के लिए 7 दिन का समय दिया गया है।
-गणेश कुमार धाकड़, प्रशासक महाकालेश्वर मंदिर
संस्थान निदेशक पीयूष त्रिपाठी के मोबाइल नंबर-9229446911 पर संपर्क नहीं हो पाया।