संतों सहित श्रद्धालुओं ने भी गंगा दशमी पर लगाई डुबकी
उज्जैन, अग्निपथ। गुरुवार को गंगा दशमी माता गंगा के प्राकट्य उत्सव के रूप में मनाया गया गंगा दशमी के अवसर पर श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा नीलगंगा घाट पर संतों की पेशवाई निकली। वहां पर स्थित नीलगंगा सरोवर में संतों ने स्नान किया। संतों की शोभायात्रा में बड़ी संख्या में संतों ने हिस्सा लिया। इस दौरान कुंभ जैसा नजारा दिखाई दिया। वहीं दूसरी ओर शिप्रा के घाटों पर भी लोगों ने डुबकी लगाकर गंगा दशहरा पर्व मनाया।
नीलगंगा चौराहा स्थित गंगाघाट पर गुरुवार को सुबह तक कुछ ऐसा ही नजारा दिखाई दिया। पड़ाव स्थल से सुबह संतों की पेशवाई प्रारंभ हुई। पेशवाई जूना अखाड़ा घाट पहुंची। पेशवाई में जूना अखाड़े के संत महात्मा के साथ ही अन्य महामंडलेश्वर व भक्त भी शामिल हुए। नीलगंगा सरोवर घाट पर पहुंचने के बाद सभी ने स्नान किया। श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता महेंद्र नारायण गिरी महाराज ने बताया कि जूना अखाड़ा द्वारा 2017 से नीलगंगा घाट पर गंगा दशहरा के अवसर पर पूजन व स्नान किया जाता है।
घाट पर गुरुवार शाम को मां नीलगंगा की महाआरती के साथ ही संत और भक्त जनों का भंडारा भी आयोजित हुआ। इस अवसर पर हरियाणा से आए जंगम जोगी बाबा द्वारा शिव स्तुति और बालिकाओं द्वारा गंगा स्तुति की प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम में जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी महेंद्र आनंद गिरि महाराज, महामंडलेश्वर जय अंबागिरी माता भी शामिल हुईं। शाम को गंगा माता को 108 फीट की चुनरी अर्पित की गई। आतिशबाजी के साथ महा आरती संपन्न हुई।
शिप्रा घाट पर भी गंगा स्नान
गंगा दशहरा के अवसर पर मोक्ष दायिनी मां शिप्रा नदी पर सुबह से ही पूजन अभिषेक का क्रम शुरू हो गया था। रामघाट के सामने स्थित शिप्रा गंगा माता मंदिर में पूजन अर्चन का दौर चलता रहा। मां शिप्रा का दूध से अभिषेक किया गया। रामघाट पर शाम को शिव प्रतीत परिक्रमा यात्रा समिति द्वारा 300 फीट लंबी चुनरी अर्पित कर पूजन अर्चना की गई। इसी तरह गंगा कुंड में भी श्रद्धालुओं ने पूजन अर्चन किया। वही मंगलनाथ स्थित गंगा घाट पर भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने स्नान कर अपनी सुख समृद्धि की कामना की।
3 किलो का चॉदी का मुकुट दान
श्री महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए आए इन्दौर के श्रद्धालु प्रमोद टण्डन द्वारा पुजारी यश प्रदीप गुरू की प्रेरणा से भगवान महाकाल को 3 किलो 381 ग्राम का चांदी का मुकुट अर्पित किया गया।